राज्य के विधायको ने अपनी सम्पति का विवरण विधान सभा में अभी नहीं दिया है। नियमानुसार विधायको को विधानसभा में अपनी संपत्ति का ब्यौरा हर साल देना जरूरी होता है।
इसका खुलासा काशीपुर के आरटीआई कार्यकर्ता एडवोकेट नदीमउद्दीन ने किया है। नदीम ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत इस संबंध में जानकारी मांगी थी।
विधानसभा के लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी के मुताबिक, इस बार विधायक बनने के बाद संपत्ति विवरण न देने वाले विधायकों की सूची में 44 विधायकों के नाम शामिल हैं। इसमें सात मंत्रियों और नेता प्रतिपक्ष का नाम भी शामिल है।
सूची में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मंत्री सुबोध उनियाल, अरविंद पांडे, रेखा आर्य, बंशीधर भगत, यतीश्वरानंद व बिशन सिंह चुफाल के नाम शामिल हैं। इसके अतिरिक्त नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का नाम भी इस सूची में शामिल हैं
एडवोकेट नदीम उद्दीन ने बताया कि कि उत्तरप्रदेश मंत्री और विधायक (आस्तियों तथा दायित्वों का प्रकाशन) अधिनियम 1975 की धारा-3 के अनुसार, मंत्रियों और विधायकों का नियुक्त या निर्वाचित होने के तीन माह के अंदर विधानसभा सचिव को अपनी संपत्ति दायित्वों का विवरण देने का कर्तव्य है। इसके बाद धारा-4 के अनुसार हर साल 30 जून तक पूर्व वर्ष की संपत्ति प्राप्ति, खर्च व दायित्वों का विवरण देना होता है, जिसे गजट में आम जनता की सूचना के लिए प्रकाशित किया जाना आवश्यक है। उत्तराखंड गठन से ही बड़ी संख्या में विधायक व मंत्री इस कानून का पालन नहीं कर रहे हैं, जबकि पारदर्शिता तथा भ्रष्टाचार नियंत्रण के लिए ऐसा किया जाना जनहित में आवश्यक है।