देहरादून: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को देश का आम बजट पेश किया। बजट में इस बार कुछ खास ऐलान हुआ है जिससे देश के आम आदमी के चेहरे खिल उठे है I
वित्त मंत्री ने एलान किया कि सात लाख तक सालाना कमाने वालों को कोई कर नहीं देना होगा। इसकी घोषणा होते ही सांसद मेज थपथपाकर वित्त मंत्री का धन्यवाद करते दिखे। वहीं, इसके साथ ही टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया है।
नए टैक्स स्लैब के मुताबिक, तीन लाख तक की सालाना आय वाले कर्मियों को टैक्स नहीं देना होगा। 3-6 लाख की सालाना इनकम वालों को 5 फीसदी, 6-9 लाख की सालाना आय वाले लोगों को 10 फीसदी, 9-12 लाख रुपये सालाना कमाने वालों को 15 फीसदी आयकर देना होगा। वहीं, 12-15 लाख की सालाना इनकम वाले लोगों को 20 फीसदी और 15 लाख से ज्यादा इनकम वालों को 30 फीसदी टैक्स चुकाना होगा।
इसके साथ ही बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि पैन अब राष्ट्रीय पहचान पत्र के रूप में जाना जाएगा। बजट में घोषणा की गई कि इलेक्ट्रिक वाहन, ऑटोमोबाइल, खिलौने और देसी मोबाइल सस्ते होंगे। वहीं, चिमनी , कुछ मोबाइल फोन और कैमरे के लेंस, सिगरेट, सोना, चांदी, प्लेटिनम महंगा होगा।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि 2014 से सरकार के प्रयासों ने सभी नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाया है। प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक बढ़कर 1.97 लाख रुपये हो गई है। इन 9 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था आकार में 10वें से 5वें स्थान पर पहुंच गई है। वित्त मंत्री ने घोषणा की कि युवा उद्यमियों द्वारा कृषि-स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि कोष बनाया जाएगा। वहीं, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मिशन मोड पर काम किया जाएगा।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि राज्यों की सक्रिय भागीदारी, सरकारी और सार्वजनिक पार्टनरशिप के साथ मिशन मोड पर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर ध्यान देने के साथ कृषि कर्ज लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विशेष रूप से जनजातीय समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए पीएमपीबीटीजी विकास मिशन शुरू किया जाएगा, ताकि पीबीटीजी बस्तियों को मूलभूत सुविधाओं से परिपूर्ण किया जा सके। अगले 3 वर्षों में योजना को लागू करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे।
अगले साल लोक सभा चुनाव होने के चलते मोदी सरकार के लिए यह बजट काफी अहम माना जा रहा था। आम चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट होने के चलते लोगों और कॉरपोरेट सेक्टर को भी इससे बड़ी उम्मीदें थीं।