उत्तराखंड में आग की लपटों में आ रहे जंगल, सरकार की प्लानिंग हो रही फेल…

उत्तराखंड में हर साल गर्मी के मौसम में ऐसी आपदा दस्तक देती हैं जो पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचती हैं। वो हैं जंगलों में लगने वाली आग। वहीं इसका मुख्य कारण है इंसानी दखल। इंसान की लापरवाही से हर साल सैकड़ों हेक्टेयर जंगल आग से ख़ाक हो जाते हैं। वहीं इससे जैव विविधता, पर्यावरण और वन्य जीवों का भारी नुक़सान होता है। वहीं इस साल भी फिर से उत्तराखंड के जंगल लगातार आग की चपेट में आ रहे हैं। अभी तक पहाड़ी क्षेत्र में कई हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो गए है। वहीं हर साल सरकार और सिस्टम जंगलों को बचाने के लिए कई दावे और प्लानिंग करते है। लेकिन इस सबके बाद भी जंगलों में लगने वाली आग पर काबू नहीं पाया जाता है।

वहीं गर्मी के शुरू होते ही उत्तराखंड के जंगल आग में जलने लगे है। जानकारी के अनुसार अब तक लगभग 436 हेक्टेयर जंगल आग लगने से  प्रभावित हो चुका है। हालांकि जंगलों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए वन विभाग लगातार कोशिश कर रहा है लेकिन जंगल की आग बुझने का नाम नहीं ले रही है। बीते महीने से इस माह तक कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक कई आग की घटनाएं सामने आ रही है। राज्य में बढ़ती गर्मी के साथ ही जंगल की आग के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं । वहीं इसी कड़ी में शुक्रवार को वनाग्नि की 10 घटनाएं हुईं, जो शनिवार को बढ़कर 22 हो गई थी। यानी प्रदेश भर में अब तक कुल 373 हो चुकी है।

प्रदेश में गर्मी के मौसम में इस तरह की घटनाएं हर साल होती हैं। इसको लेकर फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया का आंकड़ा बताता है कि पिछले साल आज की तारीख तक उत्तराखंड में आग लगने की मात्र 85 घटनाएं हुई थी, लेकिन इस साल ये आंकड़ा 300 से पार पहुंच गया है।

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