Operation Sindoor: सैनिकों के पराक्रम पर बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू, भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति को मिली नई वैश्विक पहचान
नई दिल्ली। चाणक्य डिफेन्स डायलॉग के तीसरे संस्करण के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति का एक निर्णायक क्षण रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई ने न केवल भारत की सैन्य क्षमता को दुनिया के सामने नए रूप में प्रस्तुत किया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि देश शांति की राह पर आगे बढ़ते हुए अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सजग और जिम्मेदार है।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर बदलते अंतरराष्ट्रीय माहौल, भारत की रक्षा तैयारी और सेना में चल रहे व्यापक सुधारों पर विस्तार से बात की। मंच पर मौजूद सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी भारतीय सुरक्षा परिदृश्य और सेना के भविष्य-उन्मुख विजन को रेखांकित किया।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की निर्णायक कार्रवाई
अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने मई 2024 में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद कई आतंकी ठिकानों पर की गई सटीक कार्रवाई ने आतंकवाद की संरचना को गहरा झटका दिया।
इस दौरान पाकिस्तान की ओर से भी जवाबी हमले हुए, लेकिन भारत ने शांत रहते हुए पूरी जवाबी कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के तहत जारी रखी। अंततः 10 मई की शाम दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के बाद यह सैन्य तनाव थमा।
राष्ट्रपति के अनुसार, इस ऑपरेशन ने भारत की क्षमता, संयम और जिम्मेदारी—तीनों को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया।
भारतीय सेना की क्षमता और नैतिक नेतृत्व
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल पारंपरिक युद्ध, काउंटर-इंसर्जेंसी अभियानों और मानवीय संकटों में बार-बार अपने पेशेवर कौशल का परिचय दे चुके हैं।
उन्होंने कहा:
“भारत शांति चाहता है, पर अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। भारतीय सैनिकों की प्रतिबद्धता ने दुनिया को यह विश्वास दिलाया है कि भारत जिम्मेदार वैश्विक शक्ति है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि सेना की क्षमता और अनुशासन ने न केवल देश की सीमाओं की रक्षा की है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका को भी मजबूत बनाया है।
तेजी से बदलता वैश्विक परिदृश्य
राष्ट्रपति ने कहा कि आज का विश्व शक्ति-संतुलन, तकनीकी परिवर्तन और रणनीतिक चुनौतियों से तेजी से प्रभावित हो रहा है।
उन्होंने चेताया कि—
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साइबर, स्पेस, सूचना और कॉग्निटिव वारफेयर
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ड्रोन और एआई आधारित युद्ध तकनीक
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असममित खतरे
ने संघर्ष और शांति की रेखा को पहले से ज्यादा धुंधला कर दिया है।
भारत, उन्होंने कहा, सभ्यतागत मूल्यों और वसुधैव कुटुंबकम की भावना को आधार बनाकर रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाए हुए है।
सेना में बड़े सुधार: डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारतीय सेना वर्तमान दशक को ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ के रूप में देख रही है। इसमें—
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आधुनिक युद्ध सिद्धांतों का विकास
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क्षमता-वृद्धि
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नई तकनीकों का समावेश
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आत्मनिर्भर भारत के तहत सैन्य उत्पादन को मजबूत करना
जैसे व्यापक सुधार शामिल हैं।
उन्होंने विश्वास जताया कि इन सुधारों से भारत की रक्षा तैयारी और मजबूत होगी तथा देश वैश्विक दक्षिण का भरोसेमंद सुरक्षा साझेदार बनेगा।
युवाओं और महिलाओं की बढ़ती भूमिका
राष्ट्रपति ने सेना में युवाओं और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना की।
उन्होंने कहा कि—
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एनसीसी विस्तार
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खेल और नेतृत्व कार्यक्रम
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महिला अधिकारियों की बढ़ती संख्या
से सेना में नई ऊर्जा और समावेशिता आई है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि इस डायलॉग में होने वाली चर्चाएँ 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को नई दिशा देंगी।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी का संबोधन
उद्घाटन सत्र में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि दुनिया एक “अनिश्चित और टूटे हुए वैश्विक आदेश” की ओर बढ़ रही है, जहाँ संघर्ष बढ़ रहे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा का महत्व पहले से कहीं अधिक है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच एस—सम्मान, संवाद, सहयोग, समृद्धि और सुरक्षा—को सेना के भविष्य परिवर्तन की आधारशिला बताया।
2032–2037–2047 का सैन्य रोडमैप
जनरल द्विवेदी ने सेना के तीन चरणों वाले परिवर्तन रोडमैप का उल्लेख किया, जिसमें चार प्रमुख स्तंभ शामिल हैं—
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आत्मनिर्भरता
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तेज नवाचार
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अनुकूलन क्षमता
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सैन्य-नागरिक सहयोग
उन्हें विश्वास है कि यह विजन भारतीय सेना को निर्णायक, सशक्त और भविष्य-तैयार बनाएगा।



