क्या हरक सिंह कर रहे फायदे की राजनीति ?

आँचल

-कैसे बदल जाती है विचारधारा

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से तक़रीबन 1 माह पहले प्रदेश के सियासी गलियारों में दलबदल का सिलसिला तेज़ हो गया है। रविवार को भाजपा ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में खलबली मचना शुरू हो गयी है। सोशल मीडिया में खूब चर्चा हो रही है कि अब हरक सिंह फिर से कांग्रेस का दामन थामेंगे। तो कितनी बार बदलेंगे हरक सिंह विचारधारा ? आखिर क्यों वे एक पार्टी की विचारधारा से जुड़कर नही रह पा रहे I

निष्कासित होने के बाद हरक का एक बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि भाजपा ने सोशल मीडिया पर एक मनगढंत समाचार के आधार पर इतना बड़ा फैसला ले लिया है। जबकि मेरे उनके साथ इतने अच्छे सम्बन्ध थे। कहा कि मुझे लगता है विनाश काले विपरीत बुद्धि। साथ ही उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत से सरकार आएगी। और अगर मैं कांग्रेस में शामिल नही भी होता तो मै उसी के लिए काम करूंगा। किसी और पार्टी म शामिल नही होऊंगा।

तो क्या अब हरक सिंह फिर से कांग्रेस म शामिल होंगे ? क्या ये दलबदल का सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा ? मार्च 2017 में उन्होंने 8 विधायको के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था I लेकिन अब जब उन्हें भाजपा से निष्कासित कर दिया गया है जिसके बाद उनके कांग्रेस का समर्थन करने वाला बयान सामने आया है I तो इसे किस तरीके से लिया जाए। क्या वो अपने फायदे की राजनीति कर रहे है । जब उन्हें भाजपा की पार्टी में फायदा दिखा तो वे कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। लेकिन अब जब पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया है तो अब वह कांग्रेस का समर्थन कर रहे है। इस घटनाक्रम को देखे तो ऐसा लगता है कि बस पार्टी के नेता अपना फायदा देख रहे है। उन्हें जनता की उम्मीदों और अपने राजनीतिक कर्तव्यों के प्रति कोई चिंता नहीं है।

समय के साथ नेताओ की विचारधारा में बदलाव आ रहा है I जिस विचारधारा में उन्हें लाभ दिख रहा है वो उसका समर्थन कर रहे है I इस विषय को लेकर जनता को भी जागरूक होना होगा I क्योंकि ये उनका लोकतान्त्रिक अधिकार है I जो उनके नेतृत्व कर विकास कार्य करता है I लेकिन नेता इसी तरह अपने लाभ और कुर्सी के लिए दलबदल करते रहेंगे तो जनता के विकास और उनके लिए कार्य कौन करेगा I

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