मानसिक रूप से कमजोर नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म

-ग्राम प्रधान समेत तीन आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज रुद्रप्रयाग: रेगुलर पुलिस ने मानसिक रूप से कमजोर एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में ग्राम प्रधान समेत तीन व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।  मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने इसकी जांच राजस्व पुलिस से हटा कर रेगुलर पुलिस को सौंप दी थी। इसके बाद तीनों आरोपियों के खिलाफ पुलिस पूरे साक्ष्य जुटाने में लग गयी है। मिली जानकारी के अनुसार जखोली विकासखंड के गांव निवासी नाबालिग 23 अगस्त को जंगल में गाय चराने के लिए गई थी। पीड़ित नाबालिग मानसिक रूप से कमजोर है। नाबालिग के मानसिक रूप से कमजोर होने का  फायदा उठाकर ग्राम प्रधान समेत तीन आरोपितों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। नाबालिग ने घटना की जानकारी घर आने पर स्वजन को दी। नाबालिग के पिता इस घटना से सन्न रह गए और उन्होंने तत्काल इसकी तहरीर पटवारी को दी, जिसमें तीन आरोपितों को नामजद किया गया। पटवारी ने 25 अगस्त को मामला दर्ज किया और 26 अगस्त को मेडिकल कराकर अदालत में पीड़ित नाबालिग के बयान दर्ज कराए। इसी दिन पटवारी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर पूरे मामले को रेगुलर पुलिस को हस्तांतरित करने का अनुरोध किया। जिलाधिकारी के निर्देश पर मामला रेगुलर पुलिस रुद्रप्रयाग कोतवाली को हस्तांतरित किया गया। पुलिस उपाधीक्षक प्रमोद कुमार घिल्डियाल ने बताया कि पूरे मामले की जांच के लिए टीम गठित कर विवेचना की जा रही है। पुलिस हर तथ्य और साक्ष्य जुटा रही है। बता दें कि एक साल बाद फिर से पटवारी पुलिस की कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल उठा है। रुद्रप्रयाग में एक युवती से दुष्कर्म का मामला इस एक सदी पुरानी व्यवस्था की भेंट चढ़ने वाला था। सात दिनों तक इसे दबाने का भरपूर प्रयास हुआ, लेकिन परिजनों की जागरूकता के चलते केस को रेगुलर पुलिस को ट्रांसफर करना पड़ा। एक साल से इस व्यवस्था को खत्म करने का प्रयास चल रहा है, लेकिन अब भी बहुत बड़ा हिस्सा पटवारी क्षेत्र के पास ही है। गौरतलब है कि  पिछले साल पौड़ी जिले में चर्चित अंकिता हत्याकांड मामले में भी पटवारी पुलिस चार दिनों तक कुछ नहीं कर पाई थी। स्थानीय लोगों का जब गुस्सा बढ़ा तो प्रशासन को इस मामले को रेगुलर पुलिस को देना पड़ा। लेकिन, तब तक बहुत से साक्ष्य नष्ट हो गए थे। जांच एसआईटी के पास गई और फिर छह दिन बाद अंकिता की लाश बरामद हुई। इसके बाद इस पुरानी व्यवस्था को खत्म करने की बात शुरू हो गई। हाईकोर्ट ने भी इस मामले में शासन को सख्त निर्देश दिए थे। इस पर शासन ने पुलिस को सर्वे करने के निर्देश दिए।
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