गढ़वाली व कुमाउनी को राजभाषा का दर्जा देने की उठाई मांग

संवाददाता : पंकज रावत, पौड़ी

पौड़ी। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर उत्तराखण्ड की प्रमुख लोकभाषा गढ़वाली और कुमाउनी को राजभाषा का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर लोकभाषा समर्थक संगठनों द्वारा डीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा गया।

मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर उत्तराखण्ड की प्रमुख लोकभाषा गढ़वाली व कुमाउनी को राजभाषा का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर लोकभाषा समर्थक संगठनों द्वारा डीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा गया। इस दौरान गढ़वाली, कुमाउनी को भाषा का दर्जा देने के लिए विधानसभा में संकल्प पारित कर केन्द्रस्तर पर गजट नोटिफाइड कराए जाने व इन्हें प्रदेश में संस्कृत की तरह राजभाषा का दर्जा दिये जाने की मांग की गई है।

ज्ञापन में गढ़वाली, कुमाउनी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने, नई शिक्षा नीति के अनुरूप प्राइमरी से विश्वविद्यालय स्तर पर लोकभाषा में पाठ्यक्रम शामिल करने, लोकभाषा अकादमी का गठन करने व लोकभाषाओं को रोजगार से जोड़ने आदि मांगे उठाई गई। इस मौके पर लोकभाषा साहित्य समिति के संयोजक मनोज रावत अंजुल, धाद के संयोजक वीरेंद्र पंवार, उमेश डोभाल स्मृति ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष बिमल नेगी, नागरिक कल्याण एवं जागरूक विकास समिति के अध्यक्ष रघुवीर सिंह रावत, गब्बर सिंह नेगी, गिरीश बड़थ्वाल, सभासद अनिता रावत, एसपी उनियाल, राजेंद्र बिष्ट आदि शामिल थे।

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