देहरादून: मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने ‘परिवार पहचान पत्र उत्तराखण्ड’ योजना को लेकर बैठक ली| इस दौरान अपर सचिव ने योजना को अमल में लाने के लिए मुख्य सचिव के सामने नियोजन विभाग की ओर से विस्तार से अपनी प्रस्तुतीकरण दिया| जिसके बाद मुख्य सचिव ने इस योजन को जमीनी रूप देने पर जोर देते हुए सभी विभागों को आपसी श्न्योग से डाटा एकत्र करने के निर्देश दिए|
बुधवार को सचिवालय में हुई बैठक के दौरान अपर सचिव रोहित मीणा ने योजना को लेकर मुख्य सचिव को दिए प्रस्तुतीकरण में कहा कि परिवार पहचान पत्र उत्तराखण्ड में जारी किए जाने से जाति, आय, निवास या दिव्यांग पहचान पत्र को अलग से बनाने की आवश्यकता नहीं होगी| परिवार पहचान पत्र उत्तराखण्ड योजना उत्तराखण्ड के निवासियों को विभिन्न प्रमाण पत्रों व लाभार्थी परक योजनाओं में ईज ऑफ लिविंग/डूइंग में मददकार होगी इसका संपूर्ण डाटा परिवार पहचान पत्र उत्तराखण्ड में उपलब्ध रहेगा|
इस योजना को संज्ञान में लेने के बाद मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि योजना को कार्य में लाने के लिए सभी विभाग आपसी सहयोग से सभी प्रकार का डाटा एकत्र कर लें और कौन से विभाग से कौन सा डाटा चाहिए इसका फॉर्मेट तैयार कर सभी विभागों से मांग लिया जाए| इस कार्या में तेजी लाने के लिए उन्होंने विभागीय डाटा उपलब्ध कराए जाने के लिए विभागों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने के भी निर्देश दिए|
मुख्य सचिव ने कहा कि जिन विभागों को डाटा एकत्र करना है, आपसी सहयोग से मिलकर सभी प्रकार का डाटा एकत्र करें और साथ ही डाटा कलेक्शन के लिए और सर्वे से पहले फॉर्मेट तैयार करने के लिए एक समय सीमा निर्धारित करने को कहा| साथ ही उन्होंने कहा कि पोर्टल तैयार करके डाटा ब्लॉक स्तर पर भरे जाए और इसके लिए डेडीकेटेड सेल बनाए जाने के साथ ही पर्याप्त मैनपावर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। डाटा कलेक्शन में किसी प्रकार की त्रुटियां न हो इसके लिए लगातार मॉनिटरिंग की जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव एल. फैनाई, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, नितेश झा, वी. वी. आर. सी. पुरुषोत्तम, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, रविनाथ रमन एवं डॉ. आर. राजेश कुमार सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहें।