तीन दोस्तों की अनोखी अंतरिक्ष यात्रा: उत्तराखंड से शुरू हुआ ‘एस्ट्रोवर्स’ स्टार्टअप बना युवाओं की प्रेरणा

उत्तराखंड की सुरम्य वादियों में एक प्रेरणादायक कहानी ने जन्म लिया है – एक ऐसी कहानी जो सिर्फ बच्चों को अंतरिक्ष की ओर देखने की नई दृष्टि देती है, बल्कि पहाड़ों में युवाओं के लिए रोजगार और विज्ञान की रोशनी लेकर आई है। यह कहानी है ‘एस्ट्रोवर्स’ की – एक स्वदेशी स्टार्टअप जो विज्ञान और नवाचार का संगम है।

तीन दोस्तों – अजय रावत, राहुल पांथरी और शुभम कुमार – ने मिलकर इस स्टार्टअप की नींव रखी। यह महज एक सपना था, जो आज हजारों बच्चों और युवाओं के जीवन को दिशा दे रहा है।

🛰️ अजय रावत – रेलवे इंजीनियर से विज्ञान क्रांति के अगुआ

एस्ट्रोवर्स के सह-संस्थापक और सीईओ अजय रावत की यात्रा साधारण से असाधारण की ओर जाती है। एक समय में वे भारतीय रेलवे मंत्रालय में इंजीनियर थे – एक सुरक्षित, सम्मानजनक और स्थिर नौकरी। लेकिन उन्होंने इस आरामदायक जीवन को छोड़कर उस राह को चुना जिसमें संघर्ष, जोखिम और असमंजस था – पर साथ में था एक स्पष्ट उद्देश्य: देश के बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान से जोड़ना।

अजय ने तकनीकी कौशल का उपयोग करते हुए एस्ट्रोवर्स की नींव मजबूत की – टेलीस्कोप निर्माण, मोबाइल ऑब्जर्वेटरी, और इंटरैक्टिव लर्निंग मॉडल्स के ज़रिए उन्होंने छात्रों को विज्ञान से जोड़ने के नए-नए तरीके विकसित किए। उनकी सोच ने यह सिद्ध किया कि एक गांव का युवा भी विश्वस्तरीय विज्ञान शिक्षा का नेतृत्व कर सकता है।

🔭 शुभम कुमार – एस्ट्रो एजुकेशन के ध्वजवाहक

शुभम कुमार, एस्ट्रोवर्स के शैक्षणिक शाखा ‘एस्ट्रो पाठशाला’ के सह-संस्थापक और सीओओ हैं। उन्हें देश के प्रमुख अंतरिक्ष शिक्षा संस्थानों में काम करने का अनुभव प्राप्त है। उनके प्रयासों ने एस्ट्रो पाठशाला को एक सशक्त शैक्षिक मंच बना दिया है, जहाँ जटिल अंतरिक्ष अवधारणाओं को सरल, रचनात्मक और व्यावहारिक तरीकों से समझाया जाता है।

शुभम को रॉकेट, टेलीस्कोप, कॉमेट और सैटेलाइट निर्माण में विशेषज्ञता हासिल है। उन्होंने अब तक 10 से अधिक अंतरिक्ष-शिक्षकों की टीम बनाई है, जो उत्तराखंड के स्कूलों में बच्चों को स्पेस टेक्नोलॉजी की बारीकियां सिखा रही है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि पाठ्यक्रम केवल इसरो-सत्यापित हों, बल्कि क्षेत्रीय भाषा और जरूरतों के अनुरूप भी हों।

🌌 राहुल पांथरी – वास्तुकार से एस्ट्रो टूरिज्म में क्रांति

राहुल पांथरी, एस्ट्रोवर्स के एस्ट्रो टूरिज्म शाखा ‘एस्ट्रोस्टॉप’ के सह-संस्थापक और सीओओ हैं। वास्तुकला के क्षेत्र में सफल करियर बनाने के बावजूद उन्होंने अपने गांवों की दुर्दशा देख आत्ममंथन किया और तय किया कि वह अपने पहाड़ों को पलायन से बचाएंगे। उन्होंने अंतरिक्ष पर्यटन की अवधारणा को जनमानस तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया – ताकि गांव में रहकर ही युवा रोजगार पा सकें और विज्ञान से जुड़ सकें।

उन्होंने स्थानीय युवाओं को एस्ट्रोनॉमी गाइड, इवेंट मैनेजर और कंटेंट क्रिएटर के रूप में प्रशिक्षित किया है, जिससे 35 से अधिक लोगों को स्थायी रोजगार मिला है।

🌠 एस्ट्रोवर्स का कार्यक्षेत्र और विस्तार

एस्ट्रोवर्स आज केवल स्पेस एजुकेशन बल्कि ग्रामीण विकास, रोजगार सृजन और पर्यटन के क्षेत्र में भी काम कर रहा है। उन्होंने अपने केंद्र शहरों से दूर – पहाड़ों की गोद में स्थापित किए हैं जहाँ आसमान साफ होता है, और तारों को नज़दीक से देखने का असली अनुभव मिलता है।

टीम स्कूलों के लिए साइंस लैब डिजाइन करती है, बच्चों के लिए रॉकेट डिजाइनिंग और सेटेलाइट मेकिंग जैसे विषयों पर कोर्स तैयार करती है। उनके ये कोर्स इसरो द्वारा प्रमाणित हैं, जो इसकी विश्वसनीयता को और पुख्ता करते हैं।

🚀 भविष्य की उड़ान

एस्ट्रोवर्स की टीम का सपना है कि भारत का हर बच्चा आसमान को केवल देखे, बल्कि समझे भी। वे पूरे देश में एस्ट्रोस्टॉप्स और एस्ट्रो पाठशाला कार्यक्रमों का विस्तार करना चाहते हैं। अजय, शुभम और राहुल की यह पहल इस बात का प्रमाण है कि जब जुनून, उद्देश्य और नवाचार एक साथ आते हैं, तो छोटे गांवों से भी अंतरिक्ष की ऊँचाइयों तक पहुंचा जा सकता है।

यह स्टार्टअप ना सिर्फ विज्ञान को जन-जन तक ले जा रहा है, बल्कि पहाड़ों को रोजगार, शिक्षा और गर्व की नई ऊंचाइयों पर भी पहुँचा रहा है।

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