भारत में आय और संपत्ति असमानता चरम पर
भारत आर्थिक असमानता के मामले में दुनिया में सबसे आगे निकल गया है। वैश्विक असमानता रिपोर्ट–2026 में दावा किया गया है कि देश की कुल संपत्ति का अत्यधिक हिस्सा कुछ ही लोगों के हाथों में केंद्रित हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की केवल 1% आबादी पूरे देश की 40% संपत्ति पर कब्ज़ा रखती है, जबकि शीर्ष 10% लोगों के पास 65% संपत्ति है।
आय के मोर्चे पर भी तस्वीर चिंताजनक है। देश की शीर्ष 10% आबादी 58% राष्ट्रीय आय अर्जित करती है, जबकि निचले 50% भारतीय केवल 15% आय पर निर्भर रहते हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि गरीब वर्ग की आय में वर्षों से कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है।
महिला श्रम भागीदारी में कोई सुधार नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आर्थिक प्रगति के बावजूद महिला श्रम भागीदारी दर मात्र 15.7% है। पिछले दस वर्षों में इसमें कोई सुधार नहीं दिखा, जो चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है।
रिपोर्ट में बताया गया कि प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक आय 6,984 डॉलर और औसत संपत्ति 32,592 डॉलर (PPP के आधार पर) है। आर्थिक असमानता के साथ-साथ लैंगिक असमानता भी देश में बड़ी खाई पैदा कर रही है।
रिपोर्ट के संपादक और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने कहा कि कठिन राजनीतिक समय में असमानता के मुद्दे पर बातचीत और समाधान बेहद जरूरी हैं, क्योंकि आने वाली सामाजिक और जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिए संसाधनों का न्यायसंगत वितरण आवश्यक है।
दुनिया में भी संपत्ति का असमान वितरण
वैश्विक स्तर पर भी आर्थिक असमानता गहराती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार—
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दुनिया के शीर्ष 0.001% (लगभग 60,000 अल्ट्रा-रिच लोग) की औसत संपत्ति 1 अरब यूरो तक पहुंच चुकी है।
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1995 में इनके पास वैश्विक संपत्ति का 4% हिस्सा था, जो आज बढ़कर 6% हो गया है।
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इसके उलट दुनिया की निचली 50% आबादी के पास केवल 6,500 यूरो की संपत्ति है।
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वैश्विक शीर्ष 1% लोग दुनिया की 37% वैश्विक संपत्ति पर नियंत्रण रखते हैं, जो गरीब आधी दुनिया की कुल संपत्ति से 18 गुना अधिक है।
महिलाओं की आय में भी गहरी खाई
रिपोर्ट में महिला आय की असमानता को भी गंभीर बताया गया है।
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यदि घरेलू और देखभाल जैसे बिना वेतन वाले कार्य को शामिल किया जाए, तो महिलाएं पुरुषों की तुलना में प्रतिघंटा केवल 32% आय अर्जित करती हैं।
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इन कारकों को हटाने पर महिलाओं की आय पुरुषों की तुलना में 62% होती है।
रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि दुनिया भर की सरकारें प्रगतिशील कर व्यवस्था, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं और हस्तांतरण कार्यक्रमों के जरिए इस बढ़ती असमानता को कम कर सकती हैं।



