देहरादून: आईआईटी रुड़की में पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर को धोखाधड़ी करने के इलज़ाम में तीन साल की सजा सुनाई गई है I
जानकारी के अनुसार, आईआईटी रुड़की के पूर्व सहायक प्रोफेसर विकास पुलुथी ने सामान्य जाति का होने के बावजूद पिछड़ी जाति का फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर आईआईटी में नौकरी पाई थी। प्राथमिक जांच के बाद सीबीआई ने विकास के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था।
सीबीआई की अधिवक्ता अमिता वर्मा ने बताया कि 29 सितंबर 2014 को आईआईटी रुड़की में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे विकास पुलुथी के खिलाफ प्राथमिक जांच शुरू की गई थी। सीबीआई ने 29 फरवरी 2015 को विकास के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था।
पता चला कि विकास पंजाबी क्षत्रिय परिवार से आते हैं। उन्होंने 15 फरवरी वर्ष 2000 को आईआईटी में पिछड़ी जाति के कोटे से लेक्चरर की नौकरी हासिल की थी। इसके लिए उन्होंने फर्जी दस्तावेज भी लगाया था ।
धोखाधड़ी के मामले के चलते विकास को स्पेशल सीबीआई मजिस्ट्रेट की अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई है। उन्होंने सामान्य जाति का होकर यह काम एक नहीं बल्कि दो बार किया। कोर्ट ने दोषी पर दो धाराओं में 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।