हमारे कैथीग और परंपराएं हमारी पहचान- सूर्यकांत धस्माना
देहरादून: हमारे पहाड़ के कौथीग और हमारे पारंपरिक त्यौहार उत्तराखंड की संस्कृति की पहचान हैं और हम सब का कर्तव्य है कि हम अपनी परंपराओं को जीवंत रखने के लिए उन अवसरों पर आयोजनों में शरीक हों और उनके आयोजनों में तन मन धन से सहयोग करें यह बात देर रात इंद्रानगर में आवासीय कल्याण समिति द्वारा मंगसीर बग्वाल के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में बतौर मुख्य अतिथि वहां बूढ़ी दिवाली मनाने जुटे यमुना घाटी के लोगों को मंगसीर बग्वाल की बधाई देते हुए कही। धस्माना ने कहा कि दीपावली के एक माह बाद उत्तराखंड के अनेक हिस्सों में मनाए जाने वाले इस अनोखे त्योहार को गढ़वाल की सेना का तिब्बत की सेना पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है और पूरी रवाई घाटी में यह त्यौहार धूम धाम से मनाया जाता है और टिहरी में इसे गुरु केलापीर के साथ जोड़ कर मनाया जाता है। बूढ़ी दिवाली पर ढोल दमाऊ की थाप पर भैलो खेलने की परंपरा पूरे पहाड़ में है जिसका अलग आनंद है। श्री धस्माना ने कहा कि आज देहरादून के इंद्रानगर में मंगसीर बग्वाल के इस आयोजन में ऐसा लग रहा है जैसे पूरा जौनसार बाबर और यमुना घाटी इंद्रानगर में उतर आए हों।
इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक शास्त्रनगर फेज दो आवासीय कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रदीप उनियाल, सचिव नरेश कथूरिया, कोषाध्यक्ष देव सिंह परवाल, आचार्य संतोष खंडूरी, आचार्य भारत भूषण गैरोला, संजय छेत्री,रंजना छेत्री व राम कुमार थपलियाल रवाल्टा ने धस्माना को शाल पहनाकर स्मृति चिन्ह व पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष धस्माना ने श्री चैतन्या टैक्नो स्कूल की प्रधान अध्यापिका श्रीमति पद्मा भंडारी को पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश रावत, संदीप मुंडिया, सुनील घिल्डियाल व पंकज छेत्री भी उपस्थित रहे।
प्रसिद्द गढ़वाली लोक गायिका मंजू नौटियाल के गीत सुर्तू मामा पर महिलाएं व युवक जम कर थिरके । और देर रात तक भैलो खेला और जौनसारी जौनपुरी व गढ़वाली नृत्य हुए।