धनखड़ ने दी सफाई , आरोपों की जाँच होना अवश्यक

देहरादून :उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय डाक और दूरसंचार लेखा एवं वित्त सेवा के 50वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के फलने-फूलने के लिए अभिव्यक्ति और संवाद जरूरी है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोकतंत्र के फलने-फूलने के लिए अभिव्यक्ति और संवाद के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने शनिवार को कहा कि अगर कोई जांच नहीं होगी तो संस्थान और व्यक्ति का पतन हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘किसी शख्स या संस्था का पतन करने का सबसे सही तरीका यह है कि सज्जन इंसान को जांच से दूर रखा जाए। आप जांच से परे हैं, आपका पतन निश्चित है। इसलिए ऑडिट, सेल्फ ऑडिट जरूरी है।’

धनखड़ ने भारतीय डाक और दूरसंचार लेखा और वित्त सेवा (आईपी&टीएएफएस) के 50वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में यह बात कही। इस दौरान संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया भी मौजूद रहे। बता दें, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के 60 सासंदों ने सभापति के खिलाफ 67(बी) के तहत अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। यह देश के इतिहास में इस तरह का पहला कदम है। 

धनखड़ ने शनिवार को कहा कि संस्थाओं के लिए चुनौतियां अक्सर सार्थक संवाद और प्रामाणिक अभिव्यक्ति से पैदा होती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भावनाओं को व्यक्त करना और सार्थक संवाद करना दोनों ही लोकतंत्र के अनमोल रत्न हैं।अभिव्यक्ति और संचार एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के बीच सामंजस्य ही सफलता की कुंजी है।

किसी भी लोकतंत्र में बुनियादी मूल्यों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सभापति ने कहा, ‘लोकतंत्र केवल व्यवस्थाओं पर ही नहीं, बल्कि मूल मूल्यों पर भी फलता-फूलता है। इसे अभिव्यक्ति और संवाद के नाजुक संतुलन पर केंद्रित होना चाहिए। अभिव्यक्ति और संवाद, ये दोनों ही ताकतें लोकतांत्रिक जीवन को आकार देती हैं।’
उन्होंने आगे कहा कि उनकी प्रगति व्यक्तिगत स्थिति से नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक लाभ से मापी जाती है। उन्होंने यह भी कहा, ‘भारत की लोकतांत्रिक यात्रा इस बात का उदाहरण है कि विविधता और विशाल जनसांख्यिकीय क्षमता किस प्रकार राष्ट्रीय प्रगति को बढ़ावा दे सकती है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करते हैं, हमें यह पहचानना होगा कि लोकतांत्रिक स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता राष्ट्रीय विकास में अविभाज्य भागीदार हैं।’

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘हमारे अंदर अहंकार काफी होता है, हमें अपने अहंकार को नियंत्रित करने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी। अहंकार किसी के काम नहीं आता, लेकिन जो व्यक्ति इसे अपानाता है, उसे सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है।’ 

उन्होंने कहा कि देश की सेवाओं को और अधिक गतिशील होने की आवश्यकता है क्योंकि उन्हें आधारभूत अखंडता को बनाए रखते हुए तेजी से बदलती तकनीकी और सामाजिक चुनौतियों के अनुकूल होना होगा। हम एक और औद्योगिक क्रांति के शिखर पर हैं। डिजिटल प्रौद्योगिकियों ने हम पर हमला कर दिया है।

उन्होंने कहा, ‘आधुनिक सिविल सेवकों को तकनीक में दक्ष होना चाहिए, परिवर्तन के सूत्रधार होने चाहिए तथा उन्हें पारंपरिक प्रशासनिक सीमाओं से परे जाना चाहिए। सेवा हमारी आधारशिला है। प्रशासक, वित्तीय सलाहकार, विनियामक और लेखा परीक्षक के रूप में आपकी भूमिकाएं कल की चुनौतियों का सामना करने के लिए विकसित होनी चाहिए।’

Previous articleअब अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे आयुर्वेद को
Next articleआईएमए पासिंग आउट परेड, सेना में शामिल हुए 456 युवा अफसर