Year Ender 2025: 12 लाख तक टैक्स फ्री इनकम, GST सस्ता और 8वां वेतन आयोग—आर्थिक सुधारों का साल बना 2025

Year Ender 2025:
साल 2025 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़े और निर्णायक सुधारों का गवाह रहा। वैश्विक मंदी, भू-राजनीतिक तनाव और धीमी होती वैश्विक वृद्धि के बीच भारत ने घरेलू खपत को मजबूत करने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए ऐसे कदम उठाए, जिनका सीधा असर आम आदमी की जेब और देश की जीडीपी पर पड़ा। इनकम टैक्स कानून में ऐतिहासिक बदलाव, जीएसटी दरों में कटौती, 8वें वेतन आयोग की पहल, बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई और कस्टम ड्यूटी सुधार—इन सबने 2025 को आर्थिक बदलावों का साल बना दिया।

आइए, विस्तार से जानते हैं 2025 के 5 बड़े आर्थिक फैसले, जिन्होंने देश की आर्थिक दिशा तय की।


1. टैक्स रिजीम में ऐतिहासिक बदलाव, 12 लाख तक आय टैक्स फ्री

2025 की सबसे बड़ी आर्थिक घोषणा ‘नया इनकम टैक्स कानून, 2025’ रही। सरकार ने 1961 से लागू पुराने और जटिल आयकर अधिनियम को समाप्त कर एक नया, सरल और पारदर्शी कानून पेश किया। यह नया कानून 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा, हालांकि इसकी रूपरेखा बजट 2025 में ही तय कर दी गई थी।

आम आदमी को क्या राहत मिली?
बजट 2025 में नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की सालाना आय को पूरी तरह टैक्स फ्री कर दिया गया। सरकार का उद्देश्य मध्यम वर्ग के हाथ में अधिक खर्च योग्य आय (Disposable Income) छोड़ना था, ताकि मांग और खपत को बढ़ावा मिले।

नए टैक्स स्लैब (New Tax Slabs 2025):

  • 0 से 4 लाख रुपये: 0%

  • 4 से 8 लाख रुपये: 5%

  • 8 से 12 लाख रुपये: 10%

  • 12 से 16 लाख रुपये: 15%

  • 16 से 20 लाख रुपये: 20%

  • 20 से 24 लाख रुपये: 25%

  • 24 लाख रुपये से ऊपर: 30%

हालांकि, टैक्स राहत का असर सरकारी राजस्व पर भी दिखा। आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल से 17 दिसंबर 2025 के बीच नॉन-कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन की वृद्धि दर घटकर 6.37% रह गई, जबकि इसी अवधि में कॉरपोरेट टैक्स में 10.54% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।


2. जीएसटी में बड़ी राहत, 375 वस्तुएं हुईं सस्ती

इनडायरेक्ट टैक्स के मोर्चे पर भी 2025 अहम साबित हुआ। 22 सितंबर 2025 से लागू नए जीएसटी नियमों के तहत करीब 375 वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स दरें घटा दी गईं, जिससे आम उपभोक्ताओं को सीधी राहत मिली।

जीएसटी स्लैब का सरलीकरण:
सरकार ने जटिल चार-स्तरीय जीएसटी ढांचे (5%, 12%, 18%, 28%) को तर्कसंगत बनाते हुए इसे मुख्य रूप से दो दरों—5% और 18% में समेट दिया।
40% की उच्चतम दर केवल ‘सिन गुड्स’ (तंबाकू, लग्जरी आइटम्स) पर लागू रखी गई। इसके अलावा, सिगरेट पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क और पान मसाला पर जीएसटी के ऊपर उपकर लगाने के लिए दो नए कानून भी लाए गए।

राजस्व पर असर:
दरों में कटौती का असर नवंबर 2025 के जीएसटी कलेक्शन में दिखा, जब संग्रह घटकर 1.70 लाख करोड़ रुपये पर आ गया—जो साल का निचला स्तर रहा। यह सालाना आधार पर सिर्फ 0.7% की वृद्धि थी। हालांकि सरकार का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी है और लंबे समय में मांग बढ़ेगी।


3. 8वें वेतन आयोग की पहल, कर्मचारियों को बड़ी सौगात

साल के अंत तक सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए बड़ा कदम उठाया। बढ़ती महंगाई और लंबे समय से चली आ रही मांग को देखते हुए 8वें वेतन आयोग के गठन की दिशा में ठोस पहल की गई।

विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 में इसकी सिफारिशें लागू होने से करीब 1 करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों की सैलरी व पेंशन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। इससे बाजार में खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।


4. बीमा में 100% एफडीआई और लेबर कोड सुधार

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को मजबूत करने के लिए 2025 कई अहम सुधारों का साल रहा।

बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई:
सरकार ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% कर दी। इससे विदेशी कंपनियों के लिए भारत में पूर्ण स्वामित्व वाली बीमा कंपनियां खोलना आसान हो गया और निवेश बढ़ने की उम्मीद है।

नए लेबर कोड:
वर्षों से लंबित चार श्रम संहिताओं—वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध और व्यावसायिक सुरक्षा—को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की प्रक्रिया तेज की गई। इसका उद्देश्य उद्योगों के लिए अनुपालन सरल करना और श्रमिकों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा देना है।


5. कस्टम ड्यूटी सुधार पर सरकार की नजर

इनकम टैक्स और जीएसटी के बाद अब सरकार का फोकस कस्टम ड्यूटी सुधारों पर है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिए कि सीमा शुल्क नियमों को सरल बनाना अगला बड़ा एजेंडा है।
बजट 2025-26 में औद्योगिक वस्तुओं पर 7 अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी दरों को खत्म करने का प्रस्ताव रखा गया, जिससे कुल स्लैब घटकर 8 रह गए।

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर महेश जयसिंह के अनुसार, बदलते व्यापार पैटर्न में कस्टम सुधार समय की मांग हैं, जबकि नांगिया ग्लोबल के राहुल शेखर ने पुराने विवादों के निपटारे के लिए एमनेस्टी स्कीम लाने की सलाह दी है।


निष्कर्ष

साल 2025 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए साहसिक और दूरगामी फैसलों का साल साबित हुआ। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, सरकार ने टैक्स घटाकर, नियम सरल बनाकर और कर्मचारियों व निवेशकों को राहत देकर यह स्पष्ट संकेत दिया कि भारत की विकास गाड़ी अब घरेलू खपत और सुधारों के दम पर आगे बढ़ेगी।
अब सबकी नजर 1 अप्रैल 2026 से लागू होने वाले नए इनकम टैक्स कानून पर है—जो तय करेगा कि ये सुधार आम आदमी की उम्मीदों पर कितना खरे उतरते हैं।

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