Year Ender 2025: आपदाओं और वन्यजीवों की दहशत के बीच गुजरा चमोली का साल, हिमस्खलन से लेकर भालू हमलों तक कई जिंदगियां गईं

Year Ender 2025: आपदाओं की मार और वन्यजीवों की दहशत से जूझता रहा चमोली

वर्ष 2025 चमोली जनपद के लिए बेहद कष्टकारी और त्रासदियों से भरा रहा। साल की शुरुआत से लेकर अंत तक जिले को कभी प्राकृतिक आपदाओं ने झकझोरा तो कभी वन्यजीवों, खासकर भालुओं की दहशत ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया। हिमस्खलन, अतिवृष्टि, बादल फटने और भूस्खलन जैसी घटनाओं में कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि दर्जनों परिवार बेघर हो गए।

साल की शुरुआत में माणा हिमस्खलन ने झकझोर दिया

साल के शुरुआती महीनों में ही 28 फरवरी को माणा गांव के पास स्थित मजदूर कैंप के समीप भीषण हिमस्खलन हुआ। इस हादसे में 55 मजदूर बर्फ के नीचे दब गए थे। रेस्क्यू अभियान के बाद सभी को बाहर निकाला गया, लेकिन इनमें से आठ श्रमिकों की मौत हो गई। इस घटना ने पूरे जनपद को गहरे सदमे में डाल दिया।

थराली आपदा: एक रात में उजड़ गई बस्तियां

बरसात के दौरान 22 अगस्त की रात थराली क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा ने व्यापक तबाही मचाई। कोटडीप, राड़ीबगड़, अपर बाजार, कुलसारी, चेपड़ों और सगवाड़ा समेत कई इलाकों में मलबा और पानी घरों-दुकानों में घुस गया। हालात ऐसे थे कि तहसील परिसर तक मलबे से पट गया और कई वाहन दब गए।
सबसे अधिक नुकसान चेपड़ों गांव में हुआ, जहां एक बुजुर्ग मलबे में दबकर जान गंवा बैठे। वहीं सगवाड़ा गांव में 20 वर्षीय युवती की भी मलबे में दबने से मौत हो गई। लोग इस आपदा के सदमे से उबर भी नहीं पाए थे कि अगली त्रासदी ने दस्तक दे दी।

नंदानगर आपदा: बादल फटने से गांव तबाह

17 सितंबर की रात नंदानगर क्षेत्र में अतिवृष्टि के दौरान पहाड़ियों के ऊपर बादल फट गया। इससे बरसाती गदेरों में उफान आ गया और कुंतरी व धुर्मा गांव तबाह हो गए। सेरा गांव में आठ मकान बह गए। इस क्षेत्र में करीब एक महीने तक अफरा-तफरी और दहशत का माहौल बना रहा।
फाली गांव में इस आपदा के दौरान पांच लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिसने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया।

ममता की वह तस्वीर, जिसने सबको रुला दिया

नंदानगर के फाली गांव की आपदा के दौरान एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं। 17 सितंबर को आए जलजले में टनों मलबे के नीचे एक महिला और उसके दो जुड़वा बच्चे घर के भीतर दब गए थे। दो दिन बाद जब मलबा हटाया गया, तो दोनों मासूम बच्चे अपनी मां की छाती से चिपके मिले। मां और बच्चों की यह मार्मिक तस्वीर पूरे जनपद ही नहीं, बल्कि राज्यभर में लोगों को झकझोर गई।

साल के अंत में भालुओं की दहशत बनी ‘आपदा’

बरसात खत्म होने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली ही थी कि वन्यजीवों की दहशत ने रातों की नींद उड़ा दी। खासकर भालू हमलों ने साल के अंत तक लोगों में भय का माहौल बना दिया।
भालू अब तक तीन लोगों की जान ले चुके हैं, जबकि 20 से अधिक लोग हमलों में घायल हुए हैं। ग्रामीण इलाकों में लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। स्थानीय लोग भालुओं की इस दहशत को भी एक तरह की आपदा के रूप में देख रहे हैं।


साल 2025 में जनपद को मिली कुछ अहम सौगातें

आपदाओं के बीच चमोली को कुछ विकासात्मक सौगातें भी मिलीं—

  • पीजी कॉलेज गोपेश्वर को श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का कैंपस घोषित किया गया।

  • निजमुला घाटी के दूरस्थ पाणा और ईराणी गांव को सड़क से जोड़ने के लिए झींझी पुल का निर्माण शुरू हुआ।

  • जनपद के सबसे दूरस्थ गांव डुमक के लिए सड़क निर्माण कार्य की शुरुआत हुई।

  • ज्योतिर्मठ भूधंसाव क्षेत्र में अलकनंदा नदी के किनारे ट्रीटमेंट कार्य शुरू किया गया।

  • नगर पंचायत नंदानगर का गठन हुआ और पहले बोर्ड ने कामकाज संभाला।

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