यूपी- उत्तराखण्ड परिसंपत्तियों के बटवारे में उत्तराखण्ड को मिलेगी निराशा

लंबे समय के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के बीच परीसंपत्तियों का बटवारा आखिरकार होने ही वाला है। लेकिन छोटे से राज्य उत्तराखण्ड को बटवारे में संपत्ति के नाम पर ज्यादा कुछ नही मिल पाएगा।
मतलब, उत्तराखण्ड को उसका वाजिब ‘हक’ न सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ही दिला पाए और न ही मूल रूप से उत्तरखण्डी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ।

बहरहाल इस लिहाज से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र पर भारी साबित हुए हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। हालांकि पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार जो चल संपत्ति जिस राज्य की सीमा में स्थित होगी, उस पर मालिकाना हक उसी राज्य का होगा। लेकिन अधिनियम की यह व्यवस्था उत्तराखंड में सिंचाई विभाग से जुड़ी तमाम परिसंपत्तियों पर यूपी की एक चाल के चलते लागू नहीं हो पाई। यही कारण है कि शुरुआत से ही हरिद्वार सहित प्रदेश के कुछ दूसरे हिस्सों में स्थित भूखंड, भवन, नहरें आदि उत्तर प्रदेश के कब्जे में हैं।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों ही प्रदेशों में भाजपा की सरकार बनने तथा उत्तर प्रदेश में उत्तराखंड मूल के योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि इन परिसंपत्तियों के बंटवारे में अब तो उत्तराखंड को ‘हक’ मिल ही जाएगा। त्रिवेंद्र सरकार भी इसको लेकर पहले दिन से ही आशान्वित थी। खुद मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों ने इस मामले में योगी से मुलाकात करने के बाद बड़े-बड़े दावे भी किए।

धर्मनगरी हरिद्वार में कुंभ क्षेत्र की भूमि पर भी मालिकाना हक यूपी का ही होगा। उत्तरांखंड को सिर्फ मेले के आयोजन का अधिकार होगा। इसके अलावा जिस बांध का 50 प्रतिशत से अधिक पानी उत्तर प्रदेश के इस्तेमाल में आएगा, उस पर भी मालिकाना हक यूपी का ही होगा। नानक सागर, बनबसा और शारदा सागर भी उत्तर प्रदेश के ही अधिकार क्षेत्र में होंगे।

आश्चर्यजनक ये है कि नहरों के हेड पर यूपी का जबकि उत्तराखंड को टेल पर अधिकार मिला है।

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