बद्रीनाथ: भू बैकुंठ धाम भगवान बद्रीविशाल के कपाट 19 नवंबर शाम तीन बजकर पैंतीस मिनट पर आम श्रधालुओं के दर्शनार्थ बंद कर दिए जायेंगे. विजयदशमी के मौके पर पौराणिक मान्यताओं व परम्पराओं के अनुसार बद्रीनाथ के रावल जी, धर्माधिकारी व बेद पाठियों द्वारा धर्मिक अनुष्ठान में पंचांग गणना के बाद शुभ मुहूर्त तय किया गयाI भगवान की चल विग्रह डोली 20 नवम्बर को पांडूकेशर व 21 नवम्बर को शंकराचार्य गद्दी स्थल नरसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगीI
पौराणिक परम्पराओं के आधार पर शीतकाल में भगवान् बद्री विशाल के कपाट छ: माह के लिए आम दर्शनार्थ बंद कर दिए जाते हैंI मान्यता है कि इस दौरान नारायण पूजा देव ऋषि नारद द्वारा की जाती है. जबकि ग्रीष्मकाल में भगवान की समस्त पूजाएँ रावल जी द्वारा संपन्न होती हैंI
परम्पराओं के अनुसार कपाट बंद होने के दिन रावल जी को स्त्री वेश धारण करना पड़ता है और गर्भगृह में विराजमान उद्धव जी व कुबेर जी की मूर्ती के स्थान पर माता लक्ष्मी को विराजमान करना होता हैI मान्यता के अनुसार चल विग्रह डोली के साथ उद्धव जी व कुबेर जी की प्रतिमूर्ती चलती हैI कपाट बंद होने से पूर्व रावल जी द्वारा माणा गाँव की कन्याओं के द्वारा निर्मित घृतकम्बल से भगवान् को आसन दिया जाता है. इसी दिन भगवान शंकराचार्य जी की गद्दी भी गद्दीस्थल के लिए रवाना होती हैI