देहरादून: हरिद्वार के जिला चिकित्सालय में एक नया मामला सामने आया हैं चिकित्सकों ने अपने यहां मृत घोषित युवक का शव लेने से ही इंकार कर दिया। एंबुलेंस चालक का कहना है कि वह सुबह पांच बजे अमरोहा से मृतक के शरीर को लेकर जिला अस्पताल आ गया था, लेकिन 5 घंटे बीत जाने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने बॉडी को अपने सुपुर्द नहीं लिया हैं।
एंबुलेंस चालक फरमान उर्फ गुलाम नवी का कहना है की शुक्रवार शाम 6:00 बजे उसे शव ले जाने के लिए अस्पताल से फोन आया था जिसके बाद वह शव को लेकर अमरोहा निकल गया था शव के साथ एक महिला भी थी जिसने शव ले जाने के लिए फोन किया था। रात को जब शव लेकर अमरोहा पहुंचे तो घरवालों ने शव लेने से ही मना कर दिया जबकि महिला को अपने पास रख लिया|
उसने आगे कहा कि अमरोहा मैं मैंने ही पुलिस को फोन करके बुलाया लेकिन पुलिस ने भी मुझे बॉडी लेकर वापस जाने को कह दिया| मैं सबको लेकर आज सुबह 5:00 बजे जिला चिकित्सालय पहुंच गया लेकिन सुबह से मैं लगातार परेशान हो रहा हूं और दोपहर 11:00 बजे तक भी अस्पताल ने बॉडी मोर्चरी में नहीं रखा।
एंबुलेंस चालक ने कहा कि अपनी परेशानी लेकर बराबर में स्थित कोतवाली में भी पांच-पांच बार जा चुका हूं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है| अस्पताल के डॉक्टर भी यही कह रहे हैं कि हम सबको नहीं लेंगे तुम पुलिस के पास जाओ और पुलिस यह कह कर टाल रही है कि यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है| शुक्रवार शाम 6:00 बजे से यह टाइम आ गया है और बॉडी मेरी गाड़ी में ही पड़ी हुई है।
वहीं, जिला चिकित्सालय हरिद्वार के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. चंदन मिश्रा का कहना है कि खुर्शीदा नामक मां अपने मृत बेटे का शव लेकर शाम सात बजे यहां से चली गई थी। जब किसी मृतक के साथ परिजन होते हैं तो शव उन को सौंप दिया जाता है। अब उनके घर वाले शव ले रहे हैं या नहीं ले रहे हैं। यह उनकी जिम्मेदारी है। ऐसे में बॉडी को वापस लेना भी हमारे लिए संभव नहीं है। अंतिम संस्कार उसके घर वालों को ही करना होगा अगर इसमें कोई विवाद है तो पुलिस का सहयोग लेकर निपटाया जाए। पुलिस यदि हमें कहती है तो ही हम शव को मोर्चरी में रख सकते हैं। एक बार जब शव परिजनों को सौंप दिया जाता है तो उसमें अस्पताल की भूमिका समाप्त हो जाती है।