सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सास ससुर के साथ न रहना चाहे पत्नी, तो पती दे सकता है तलाक

नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अगर कोई महिला अपने पति को उसके बूढ़े मां-बाप से अलग रहने को मजबूर करती है तो उसका पति उसे तलाक देने का हकदार होगा। कोर्ट ने टिप्पणी करी कि हिन्दू लॉ के मुताबिक कोई भी महिला किसी भी बेटे को उसके मां-बाप के प्रति पवित्र दायित्वों के निर्वहन से मना नहीं कर सकती है।

जस्टिस अनिल आर दवे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की संयुक्त खंडपीठ ने कहा कि एक महिला शादी के बाद पति के परिवार का हिस्सा बन जाती है। वह इस आधार पर उस परिवार से अपने पति को अलग नहीं कर सकती है कि वो अपने पति की आय का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पा रही है।

कोर्ट ने ये भी टिप्पणी करी कि माता-पिता से अलग रहने की पश्चिमी सोच हमारी सभ्यता-संस्कृति और मूल्यों के खिलाफ है। कोर्ट ने कर्नाटक की एक दंपत्ति के तलाक की अर्जी को मंजूरी देते हुए ये टिप्पणी की है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में लिखा है, भारत में हिन्दू परिवारों में न तो यह सामान्य बात है और न ही प्रचलन में है कि कोई भी बेटा अपनी पत्नी के कहने पर शादी के बाद बूढ़े मां-बाप को छोड़ दे। खासकर तब, जब बेटा ही परिवार में एकमात्र आय का स्रोत बना हो।

बूढ़े हो चुके मा बाप अपने बेटे को ही सहारा मानते है और ये सहारा छीनने वाली बेटे की पत्नी यदि साथ रहने के लिए राजी न हो तो पति तलाक देने का हकदार है।

Previous articleकोविंद 26 को देहरादून में। सांसदों, विधायको से करेंगे मुलाकात
Next articleपहाड़ की बेटी ने 50 देशों को हराकर किया नाम रोशन