इंडियन स्टूडेंट्स में आजकल फॉरेन यूनिवर्सिटीज से स्टडी करने का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। जिससे हर साल 6 से 7 अरब डॉलर की रकम विदेश जा रही है। सवाल यह है कि यह क्रेज क्यों बढ़ रहा है? भारत में वर्ल्ड क्लास कॉलेज और यूनिवर्सिटी क्यों नहीं हैं? हम कब तक चंद आइआइएम, आइआइटी के नाम पर मुग्ध होते रहेंगे? क्या सरकार हायर एजुकेशन की क्वालिटी बढ़ाने की दिशा में कोई पहल करेगी, ताकि देश के युवाओं को भारत में ही वर्ल्ड क्लास स्टडी की सुविधा मिल सके? क्या हमारे कॉलेज भी वर्ल्ड के टॉप संस्थानों में जगह बना पाएंगे।
लंदन की पत्रिका टाइम्स हायर एजुकेशन ने 2014-15 के लिए दुनिया भर की यूनिवर्सिटीज की एक रैंकिंग की है। इसमें अमेरिका के अलावा इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस और यूरोपीय देशों के संस्थानों का वर्चस्व है। इनके अलावा जापान, चीन, हांगकांग, ताइवान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे मुल्कों के विश्वविद्यालयों का दबदबा है। यहां तक कि ब्राजील, मैक्सिको भी इस सूची में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे हैं। लेकिन शीर्ष 100 पायदान पर कहीं भी किसी भारतीय विश्वविद्यालय का नामोनिशान नहीं है। इसे क्या कहेंगे? उच्च शिक्षा पर इतना जोर देने और देश में बेशुमार टैलेंट होने के बावजूद क्वालिटी एजुकेशन, रिसर्च आदि के मामले में इंडियन यूनिवर्सिटीज, वल्र्ड की टॉप यूनिवर्सिटीज केे मुकाबले काफी पीछे खड़ी हैं। एक समय भारत में नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय बौद्धिकता के मामले में दुनियाभर में विख्यात थे। दूर-दूर से स्टूडेंट्स यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे। आज स्थिति इसके विपरीत है। आज भारतीय छात्र विदेश से शिक्षा हासिल करने पर हर साल 6 से 7 अरब डॉलर (करीब 377 से 439 अरब रुपये) खर्च करते हैं। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस और एसोचैम के एक ताजा सर्वे के अनुसार, देश में अच्छे उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी के कारण विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। फोब्र्स इंडिया की 2013 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत से हर साल करीब 4.64 लाख स्टूडेंट्स पढ़ाई के लिए विदेश का रुख करते हैं। इसमें लगभग एक-एक लाख स्टूडेंट अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जाते हैं, जबकि 42 हजार ब्रिटेन। ये हाल तब है, जब देश में आइआइटी, एनआइटी, आइआइएम, एम्स, लॉ कॉलेज के नए ब्रांचेज खुल रहे हैं। कई नए केंद्रीय विश्वविद्यालय भी खोले गए हैं। तमाम दिग्गज कॉरपोरेट घरानों द्वारा भी कॉलेज-यूनिवर्सिटीज खोली जा रही हैं, जिनमें वल्र्ड क्लास एजुकेशन देने की बात की जाती है।