देहरादून- उत्तराखण्ड सरकार की खराब माली हालत से जूझने के कारण हर महीने अपने कार्मिकों के वेतन-भत्ते और पेंशनर्स को पेंशन के भुगतान की चुनौती बन गया है। सातवां वेतनमान लागू होने से राज्य पर वेतन-भत्ते और पेंशन की मद में ही हर माह करीब 200 करोड़ का बोझ पड़ चुका है।
सरकार के सामने सातवें वेतनमान का एरियर देने की चुनौती भी है। नतीजतन नई सरकार को भी अपने मासिक खर्चों को पूरा करने के लिए उधार लेने को बाजार की शरण लेनी पड़ी है। हालांकि, केंद्र और राज्य में एक ही दल की सरकार होने के बाद बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में बाजार से उधार उठाने के मामले में हालात बेहतर हैं। बीते वित्तीय वर्ष के पहले महीने में ही सरकार को कर्ज लेना पड़ा था। इसके बाद तकरीबन हर महीने ही कर्ज लेने की नौबत रही।
इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में केंद्र की ओर से भी राज्य को बकाया मदद का भुगतान किया गया है। इस वजह से पहले राज्य सरकार ने 400 करोड़ का कर्ज उठाने का फैसला लिया था, लेकिन बाद में इसे घटाकर 200 करोड़ किया गया। 200 करोड़ कर्ज लेने के बाद चल रहे जून माह में 500 करोड़ बतौर कर्ज और लिया गया है। अब तक कर्ज की धनराशि बढ़कर 700 करोड़ हो चुकी है।