सहारनपुर में जैश-ए-मोहम्मद का नेटवर्क? डॉ. अदील की गिरफ्तारी के बाद बढ़ी हलचल
सहारनपुर। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े नेटवर्क की जांच के सिलसिले में सोमवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक टीम सहारनपुर पहुंची। टीम ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से मानकमऊ इलाके में डॉक्टर अदील अहमद के किराए के मकान और फेमस मेडिकेयर हॉस्पिटल में छापेमारी की।
गौरतलब है कि अनंतनाग निवासी डॉ. अदील अहमद को हाल ही में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप है कि उसने श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन में पोस्टर लगाए और आतंकी संगठन से संपर्क में था।
तीन साल से सहारनपुर में रह रहा था, मिल रही थी मोटी तनख्वाह
पुलिस जांच में सामने आया कि डॉ. अदील पिछले तीन सालों से सहारनपुर के मानकमऊ में रह रहा था। वह यहां वी-ब्रॉस और फेमस मेडिकेयर हॉस्पिटल में बतौर चिकित्सक कार्यरत था।
उसकी मासिक सैलरी लगभग पांच लाख रुपये थी, जो अंबाला रोड स्थित एक्सिस बैंक खाते में आती थी। जांच में यह भी पता चला कि वह कई बार अपनी तनख्वाह अपने भाई के खाते में ट्रांसफर करता था।
हॉस्पिटल में छापेमारी, हटाई गई नेम प्लेट
छापेमारी के बाद फेमस मेडिकेयर हॉस्पिटल प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए डॉ. अदील की नेम प्लेट हटवा दी। इतना ही नहीं, उसके साथ काम करने वाले डॉ. बाबर का नाम भी बोर्ड से हटा दिया गया है।
हॉस्पिटल सूत्रों के अनुसार, डॉ. अदील 26 सितंबर 2025 को छुट्टी पर गया था और चार अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर में शादी की थी। उसने अपने कुछ ही सहयोगियों को शादी का निमंत्रण दिया था, जिनमें डॉ. बाबर भी शामिल थे।
प्रबंधन की सफाई — व्यवहार से कभी नहीं लगा संदिग्ध
हॉस्पिटल प्रबंधक मनोज मिश्रा ने बताया कि डॉ. अदील का व्यवहार हमेशा सामान्य रहा और किसी को उस पर शक नहीं हुआ।
“वह बेहद व्यावहारिक और शालीन व्यक्ति थे। जनवरी-फरवरी में जब चिकित्सक का पद खाली था, तब हमने उन्हें नियुक्त किया था। अब जब मामला सामने आया है, हमने उनकी सेवा समाप्त कर दी है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि डॉ. बाबर, जो रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर हैं, को भी अस्थायी रूप से हटाया गया है, जब तक पुलिस जांच पूरी नहीं हो जाती।
पुलिस जुटा रही सबूत, कई लोगों से पूछताछ
थाना कुतुबशेर पुलिस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने डॉक्टर के घर, बैंक खातों, मोबाइल डेटा और पुराने रिकॉर्ड की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या सहारनपुर में किसी अन्य व्यक्ति का भी जैश-ए-मोहम्मद नेटवर्क से संबंध रहा है।
चौंकाने वाला पहलू: ऊंची सैलरी, लेकिन दोहरी जिंदगी
जांच अधिकारियों के अनुसार, यह मामला इसलिए और जटिल हो गया है क्योंकि डॉ. अदील को पांच लाख रुपये प्रतिमाह की मोटी सैलरी मिल रही थी, बावजूद इसके वह आतंकी संगठन के संपर्क में था।
सुरक्षा एजेंसियां अब यह जानने की कोशिश कर रही हैं कि क्या उसकी वित्तीय लेन-देन या प्रोफेशनल नेटवर्क के जरिए आतंकी संगठन को कोई मदद पहुंचाई गई थी।



