रूद्रप्रयाग- भले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त प्रदेश होने की घोषणा कर चुके है लेकिन दूसरी ओर इस काम को अंजाम तक पहुंचाने वाले शौचालय निर्माण में भी सरकारी पैसा डकार रहे हैं। खुद ग्रामीण ही गांव के प्रधान पर आरोप लगाएं तो मामला और अधिक संगीन हो जाता है। रूद्रप्रयाग के एक गांव में 14 शौचालच का पैसा बंटना था लेकिन बंटा मात्र पांच को। सवाल यह है कि आखिर नौ शौचालयों का पैसा कहां गया।
ग्राम पंचायत भुनका के ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान पर गांव में किये जाने वाले विकास कार्यों में धांधली के साथ ही स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय से लाभांवित होने वाले व्यक्तियों को गलत तरीके से दर्शाने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों ने प्रधान पर यह भी आरोप लगाया कि मनरेगा के अंतर्गत जाब कार्ड धारकों के साथ अनियमितता बरती जा रही है। जिससे ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा कि ग्राम प्रधान भुनका मंजू देवी ने ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में खर्च होने वाली धनराशि व मनरेगा के अंतर्गत स्वरोजगार प्रान्त करने वाले जाब कार्ड धारकों के साथ अनियमितता बरती है। साथ ही स्वजल के अंतर्गत बनने वाले शौचालयों में गलत व्यक्तियों के नाम दर्शाये हैं। स्वजल योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत भुनका के 14 व्यक्तियों को शौचालय निर्माण के लिये छह हजार के हिसाब से 84 हजार रूपये दिये गये हैं, लेकिन ग्राम पंचायत ने मात्र पांच लोगों को ही धनराशि दी है और उन्होंने शौचालय का निर्माण किया है और नौ लोगों के फर्जी
नाम दिये गये हैं और 54 हजार रूपये प्रधान ने स्वयं डकारे हैं। प्रधान ने ऐसे फर्जी नामों को दर्शाया है जो परिवार सहित गांव में नहीं रहते हैं। ग्रामीण हरि सिंह राणा, सोहन सिंह, मेहमान सिंह, प्रेम सिंह, प्रताप सिंह, बलवीर सिंह, आम सिंह सहित अन्य ग्रामीणों ने कहा कि ग्राम प्रधान ने गांव में होने वाले विकास कार्यों में भारी धांधली की है। ग्राम प्रधान को विकास के बजाय धांधली करने से मतलब है। मनरेगा और शौचालय निर्माण में प्रधान पर अनेक आरोप हैं। उन्होंने जिलाधिकारी से ग्राम प्रधान द्वारा गांव में कराये गये कार्यों एवं शौचालय निर्माण की जांच कराने की मांग की है।