यमकेश्वर के पौखाल क्षेत्र की पहली आईएएस बनी सोनाक्षी। बचपन से है कान से दिव्यांग, पर कभी हिम्मत नही हारी और मंजिल तक पहुची

राजेश सेमवाल ’मृदल’(कोटद्वार)

हताशा व निराशा को यदि मानव आडे न आने दें तो हर तरह की मंजिलें आसान हो जाती है बशर्ते निष्ठा व कर्तव्य परायणता उसमें बरकरार हो। इसी तरह की मिशाल दूरस्थ क्षेत्र पौखाल के गुमगांव की सोनाक्षी सिंह तोमर ने भी पेश की है। वर्ष 2016 बैच की आईएएस परीक्षा में 747 वां स्थान प्राप्त करने वाली सौनाक्षी सिंह तोमर इन दिनों त्रिपुरा में गोमती जिला के उदयपुर में संयुक्त मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात है। जडों से जुडने रहने का जज्बा रखने वाली सोनाक्षी गत दिनों अपने कुलदेवता की पूजा अर्चना के लिए पौखाल पहुंची थी। हमसे वार्ता करते हुए सोनाक्षी ने कहा कि मनुष्य को कभी भी अपने में हीन भावना नही लानी चाहिए वो तरक्की में बाधक होती है। सोनाक्षी का मत है कि जीवन की तरक्की में जहां मेहनत अहम है वहीं माता पिता व गुरूजनों का मार्ग दर्शन भी सफलता का मूल मंत्र होता है। दो बहिनों में बडी बहिन सोनाक्षी के पिता एमएस तोमर कुमाऊॅ मण्डल विकास निगम में नैनीताल में चीफ मैनेजर के पद पर सेवारत है और माता केश आॅफिसर के पद पर एसबीआई नैनीताल में तैनात है। क्षेत्र से पहली आईएएस बनने का गौरव भी सोनाक्षी को प्राप्त है। सभी कक्षाओं में प्रथम श्रेणी अंक प्राप्त करने वाली सोनाक्षी ने तीसरी बार में आईएएस की परीक्षा उत्र्तीण करने में सफलता हासिल की है। सोनाक्षी के पिता कहते हैं कि उनकी दो बेटियां है और उन्होने हमेशा बेटियों को बेटा जैसा ही माना है और वे उनकी उम्मीदों पर खरी उतरी हैं। उन्होने संदेश दिया है कि यदि बेटियों को सही मार्ग दर्शन मिलता है तो वे तरक्की की बुलन्दियां छूकर क्षेत्र प्रदेश व देश का नाम रोशन करती हैं। वहीं उनके चाचा पिताम्बर तोमर कहते हैं कि इस तरह के बच्चों से आने वाले पीढी को मार्ग दर्शन मिलता है और वे प्रेरणा लेकर आगे बढते हैं।

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