देहरादून। कुछ दिन पूर्व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय छेत्र गोरखपुर में ऑक्सीजन सप्लाई न होने से कई बच्चों की मौत के मामले की तरह ही एक केस चम्पावत जिले के टनकपुर स्थित संयुक्त चिकित्सालय में भी सामने आया है।
मरीज के तीमारदारों का आरोप है कि लाइट जाने पर आक्सीजन सप्लाई सुचारू करने के लिए प्रबंधन ने बच्चे के पिता से शुल्क मांगा। ऐसा नहीं करने पर जनरेटर नहीं चलाया गया और नवजात ने ऑक्सीजन के अभाव में तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। पीड़ित पक्ष ने मामले की लिखित शिकायत डीएम से की है। टनकपुर के इमली पड़ाव निवासी इरशाद अहमद ने बताया कि उसकी पत्नी ने सात माह गर्भ में रखने के बाद अपरिपक्व बच्चे को जन्म दिया था। पैदा होते ही बच्चे को सांस लेने में दिक्कतें हो रही थी।
22 सितंबर को उसने नवजात बच्चे को टनकपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया था। तीन दिन तक बच्चे को ऑक्सीजन में रखा गया था। सोमवार शाम अस्पताल में अचानक बिजली गुल हो गई थी। इसके चलते बच्चे को ऑक्सीजन सप्लाई बंद हो गई थी। इस पर इरशाद ने चिकित्सकों से जनरेटर चलवाने का आग्रह किया। इरशाद का आरोप है कि चिकित्सकों ने जनरेटर चलाने के लिए पहले शुल्क जमा करने की बात कही। शुल्क जमा नहीं करने के चलते जनरेटर नहीं गड़गड़या और उसके मासूम बच्चे की सांसे थम गईं। इरशाद ने डीएम से मामले की जांच करवाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई है।
बच्चे का अस्पताल में हर संभव उपचार हुआ
संयुक्त चिकित्सालय टनकपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एसएस ह्यांकी ने कहा कि बच्चा प्री टर्म पैदा हुआ था। अस्पताल प्रबंधन की ओर से उसका हर संभव उपचार किया गया था। पैदा होते वक्त बच्चे का वजन महज एक किलोग्राम था। ऐसे हालात में उसका बचना मुश्किल लग रहा था। अस्पताल प्रबंधन ने जनरेटर चलाने के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं मांगा। अस्पताल पर लगाए जा रहे सारे आरोप निराधार हैं।