Op Sindoor: एयर मार्शल बोले—यह सिर्फ शुरुआत, आने वाले समय में एकीकृत थिएटर कमांड संभालेगी पूरे युद्ध की कमान
नई दिल्ली:
इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (IDS) के चीफ एयर मार्शल अशुतोष दीक्षित ने कहा कि हाल ही में संचालित ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य व्यवस्था में होने वाले बड़े बदलावों की मात्र एक झलक है। उनका कहना है कि आने वाले वर्षों में थियेटराइजेशन भारतीय रक्षा प्रणालियों को पूरी तरह बदल देगा और यह देश के इतिहास का सबसे बड़ा रक्षा सुधार होगा।
“ऑपरेशन सिंदूर में CDS और तीनों सेनाओं ने एक यूनिट की तरह काम किया”
दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सुरक्षा शिखर सम्मेलन में एयर मार्शल दीक्षित ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS), सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुख एक टीम की तरह निर्णय ले रहे थे।
उन्होंने कहा—
“यही वह मॉडल है जो भविष्य में पूरी तरह लागू होगा। आने वाले समय में एक थिएटर ऑपरेशंस रूम होगा, जहां सभी सूचनाएं पहुंचेंगी और थिएटर कमांडर उसी समय निर्णय ले पाएंगे।”
तीन चरणों से गुजर रहा है देश—ज्वाइंटनेस से लेकर थियेटराइजेशन तक
एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि भारतीय रक्षा तंत्र वर्तमान में तीन अहम पड़ावों से गुजर रहा है—
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ज्वाइंटनेस (सैन्य समन्वय)
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इंटीग्रेशन (प्रणालियों का एकीकरण)
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थियेटराइजेशन (एकीकृत कमान व्यवस्था)
उन्होंने बताया कि भविष्य में थल सेना, नौसेना, वायुसेना और साइबर डोमेन एक ही योजना और एक ही थिएटर कमांडर के नेतृत्व में कार्य करेंगे। इससे न सिर्फ सैन्य क्षमताएं बढ़ेंगी, बल्कि निर्णय लेने की गति भी कई गुना तेज होगी।
थियेटर कमांड क्यों है जरूरी?
एयर मार्शल के अनुसार आधुनिक युद्ध अब केवल सीमाओं पर नहीं लड़े जाते।
आज युद्ध बहुआयामी हो चुके हैं—
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साइबर युद्ध
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स्पेस डोमेन
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सूचना और तकनीकी मोर्चा
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समुद्र, जमीन और आकाश
उन्होंने कहा कि फोर्स डेवलपमेंट यानी हथियार और रणनीति बनाना सेवा मुख्यालय की जिम्मेदारी होगी, जबकि फोर्स एप्लिकेशन यानी युद्ध के मैदान में उन्हें कैसे लागू किया जाएगा—यह थिएटर कमांडर तय करेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर से क्या मिला संदेश?
एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने साबित किया है कि युद्ध सिर्फ समान शक्ति के आधार पर नहीं जीते जाते, बल्कि असमानता (Asymmetry) पैदा करके बढ़त हासिल की जाती है।
उन्होंने 1971 के युद्ध के दौरान हुए तांगैल पैराड्रॉप का उदाहरण दिया, जिसने पाकिस्तान की सेना को उस समय पूरी तरह चौंका दिया था।
उन्होंने कहा—
“आज कई देशों की पारंपरिक सैन्य शक्ति बराबर है। इसलिए बढ़त साइबर क्षमताओं, टेक्नोलॉजी, इंटीग्रेशन और तेज फैसलों से ही मिलेगी।”



