नशामुक्त अभियान की 5वीं वर्षगांठ: सीएम धामी ने युवाओं से की नशे को ‘ना’ कहने की अपील, बोले—यह समाज को भीतर से खोखला करने वाली चुनौती

नशामुक्त अभियान की 5वीं वर्षगांठ: बोले सीएम धामी—युवा नशे को मजबूती से ‘ना’ कहें, दूसरों को भी करें प्रेरित

नशामुक्त भारत अभियान के पाँच वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने युवाओं से नशे के खिलाफ सशक्त संदेश देने की अपील की। उन्होंने कहा कि नशा केवल एक बुरी आदत नहीं, बल्कि समाज को भीतर से खोखला कर देने वाली गंभीर सामाजिक चुनौती है, जिसका सबसे बड़ा निशाना युवा पीढ़ी है।

मुख्यमंत्री धामी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को नशामुक्त भारत अभियान की पाँचवीं वर्षगांठ की बधाई देते हुए कहा कि इस लड़ाई में विभिन्न संगठनों, कर्मवीरों और जागरूक नागरिकों के योगदान से समाज नशे की भयावह समस्या से मुकाबला करने में सक्षम हो रहा है।

‘नशा युवा ऊर्जा को नष्ट कर देता है’—सीएम धामी

सीएम धामी ने कहा कि नशा व्यक्ति की चेतना, विवेक और निर्णय लेने की क्षमता को कमजोर कर उसके पूरे भविष्य को विनाश की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि आज नशे का प्रसार वैश्विक स्तर पर ‘साइलेंट वॉर’ की तरह फैल रहा है, जिसका सबसे बड़ा खतरा युवाओं पर मंडरा रहा है।

उन्होंने चेताया कि यदि युवा पीढ़ी नकारात्मक प्रभावों में उलझकर अपनी ऊर्जा खो देगी, तो राष्ट्र के विकास की गति भी अवरुद्ध हो जाएगी। इसलिए युवाओं को स्वयं नशे से दूर रहकर अपने साथियों को भी इसके प्रति जागरूक करना चाहिए।

पीएम मोदी के आह्वान का किया उल्लेख

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2020 में स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में नशामुक्त भारत अभियान की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य नशे के विरुद्ध एक व्यापक जन-आंदोलन खड़ा करना था। आज यह अभियान समाज में जागरूकता की नई लहर पैदा कर रहा है।

युवाओं को दिलाई नशा मुक्त भारत की शपथ

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने उपस्थित युवाओं को नशा मुक्त भारत की शपथ दिलाई। इसके साथ ही स्कूल और कॉलेज स्तर पर आयोजित भाषण एवं निबंध प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विजेता प्रतिभागियों को सम्मानित भी किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई केवल सरकार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। यदि युवा दृढ़ निश्चय के साथ नशे को ‘ना’ कहें, तो समाज को इस खतरे से मुक्त किया जा सकता है।

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