देवभूमी में सावन के महीने में मंदिर को तरसते भोलेनाथ, भक्तो में आक्रोश

वर्ष 1937 से स्थापित इस मंदिर में कई वर्षों से जलती थी अखण्ड ज्योत

वन विभाग ने मंदिर तो तोड़ा पर नही की मूर्तियों की सुरक्षा

कोटद्वार- श्रावण के दूसरे सोमवार को जगह जगह शिवालयों में जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक रुद्राभिषेक का अनुष्ठान किया जा रहा है। इसके चलते सुबह से ही शहर के प्राचीन मंदिरों में भीड़ देखने को मिली। वही कुछ दिन पूर्व वन विभाग द्वारा लालपुल के निकट शिव मंदिर तोड़े जाने के बाद से वहां कई मूर्तिया खण्डित हो चुकी है इतना ही नही उन्हें मंदिर के ही पास एक ऐसे खंडहर में रखा गया है जहाँ पूर्व में कई असामाजिक तत्व शराब व मांस का सेवन किया करते थे वन विभाग के अनुसार मंदिर प्रकरण में कुछ हिंदूवादी संगठनों के लोगो द्वारा डीएफओ के साथ अभद्रता की गई लेकिन अब उन पर मुकदमे दर्ज होने के बाद भी मंदिर निर्माण न होने से लोगो मे नाराजगी व्याप्त है। स्तिथी ये है कि वर्ष 1937 से स्थापित इस शिव मंदिर में काफी समय से अखण्ड ज्योत जला करती थी गढ़वाल का प्रवेश द्वार होने के कारण लोग पहाड़ी मार्गो पर अपनी सुरक्षित यात्रा की प्रार्थना इस मंदिर में हाथ जोड़कर करते थे इसके साथ ही ये मंदिर आस पास के कई गांवों के लोगो की आस्था का केंद्र हुआ करता था। मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर श्री सिद्धबली मन्दिर कोटद्वार, राष्ट्रीय ब्रह्मण युवजन महासभा सहित कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन भेजकर मंदिर के पुनः निर्माण की मांग की गई है। साथ ही क्रिस्चन समुदाय के लोगो ने भी पुनः मंदिर निर्माण की मांग की है जिसके लिए क्रिस्चन इवांजलिस्टिक एसेम्बली चर्च ने भी मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। फिलहाल इस संबंध में अभी कोई कार्यवाही नही हो पाई है पर वन विभाग को कानूनी कार्यवाही करने के साथ ही फिलहाल मंदिर की मूर्तियों व पूजन सामग्री आदि को सुरक्षित व साफ स्थान पर रखना चाहिए जिससे आस्था के इस केंद्र पर लोगो का विश्वास बना रहे।

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