कोटद्वार- प्रदेश के वन मंत्री हरक सिंह रावत वन विभाग के कुछ अधिकारियों असफरों से ज्यादा ही खफा चल रहे है। जिसके चलते जल्द ही इन अधिकारियों पर गाज भी गिर सकती है। दरअसल वन मंत्री का ये आक्रोश लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग (कंडी मार्ग) को लेकर है।
हुआ कुछ यूं है कि काफी मस्कक्तों के बाद मिली वन विभाग की सहमति के बाद लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग के निर्माण का जीओ भले ही जारी हो गया है, पर निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही वन विभाग के कुछ अधिकारियों ने इस पर आपत्ति लगा दी है। वन विभाग के पीसीसीएफ राजेंद्र सिंह महाजन ने शासन को पत्र लिखकर साफ शब्दो मे ये कह दिया कि ये मार्ग बन ही नही सकता। और उसमें कारण बताया है कि जिस मार्ग पर सहमति जताई गई थी वह ये मार्ग था ही नही, सहमति हरिद्वार से कोटद्वार के बीच एक अलग ही मार्ग मार्ग के लिए थी, और अब इसी के चलते कंडी मार्ग के डामरीकरण और चौड़ीकरण का काम किसी हाल में नही हो सकता। और यदि फिर भी इसे किया जाता है तो इससे वन संपदा को भारी नुकसान होना तय है। इसके साथ ही उन्होंने साशन को डीएफओ लैंसडाउन की रिपोर्ट की प्रति भी दिखाई है। और यही कारण है कि वन मंत्री हरक सिंह रावत कुछ अधिकारियों से अत्यधिक नाराज चल रहे हैं। वन मंत्री ने इस मार्ग को लेकर ये भी कहा कि अब तक मार्ग के निर्माण के सम्बंध में तीन बैठके भी की जा चुकी है तब क्यो नही इन अधिकारियों ने ये बात रक्खी थी। अब इसके लिए लोक निर्माण विभाग ने पिछले दिनों लगभग दस करोड़ की धनराशि भी जारी कर दी है और टाइगर रिजर्व के भीतर बनी ग्यारह किलोमीटर लम्बी इस कच्ची सड़क का डामरीकरण किया जाना है, इसके लिए टेण्डर प्रक्रिया भी हो चुकी हैं और जल्द ही निर्माण कार्य शुरु होना है। तब अधिकारियों को ये सब याद आ रहा है।
वन मंत्री ने ये भी कहा कि विभाग के कई अधिकारी तो इतने ज्यादा लापरवाह है कि उन्हें इस मार्ग से सम्बंधित कई जानकारियां शुरू से ही नही थी। तो ऐसे में कोई भी निर्माण कार्य सम्भव नही हो पायेगा।