कोटद्वार- कहते है किसी प्यासे को पानी पिलाना बड़े ही पुण्य का काम होता है, लेकिन जल संस्थान और नगर पालिका कोटद्वार न तो अपनी जिम्मेदारियां संभालना चाहती है और पुण्य कमाना तो शायद बिल्कुल भी नही चाहती। आलम ये है कि गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार नगर में 80% से भी ज्यादा पीने के पानी की टंकिया सूखी पड़ी है और जिनमे थोड़ा बहोत पानी आता भी है उनमें कई सालों से साफ सफाई नही हुई है। नियमानुसार साल भर में टंकी की छमता के अनुसार कई बार टंकिया साफ करके टंकी पर अंतिम बार हुई सफाई की तारीख अंकित की जाती है साथ ही उसकी कुल छमता भी लिखी जाती है कि टंकी में कितना लीटर पानी आता है और इस काम मे ज्यादा मेहनत और खर्चा भी नही आता। लेकिन इसके बावजूद भी उत्तराखण्ड जल संस्थान के कोटद्वार कार्यालय में तैनात अधिकारी इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नही दे रहे जिस कारण हजारो लोग प्यासे रहते है और सैकड़ो लोगों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है। अगर सिर्फ कोटद्वार बस स्टैण्ड की ही बात करे तो वहा पर सरकारी बस अड्डा, प्राइवेट बस अड्डा, रेलवे स्टेशन व कई टेक्सी और जीप स्टैण्ड नजदीक ही है और आस पास पीने के पानी के लिए सिर्फ एक नल है जो बाजार पुलिस चौकी के निकट पड़ता है उसकी स्थिति भी इतनी बुरी है कि कई लोग तो उसकी गंदगी देखकर बिना पानी पिये जाना ही पसंद करते है। इस बारे में नगर पालिका अध्यक्ष से कई बार बात की गई तो उनका कहना था कि इसके लिए जल संस्थान जिम्मेदार है पर वो भूल जाती है कि नगर पालिका छेत्र के सार्वजनिक स्थलों में पीने के पानी की व्यवस्था दोनों ही विभागों की जिम्मेदारी होती है वही जल संस्थान के अधिशाषी अभियंता भी अपना पल्ला झाड़ते हुए कहते है कि साफ सफाई होती है पर किसी कारण से तारीख अंकित नही हो पाती जिससे लोगो को पता नही चल पाता। उनकी इस लापरवाही को न जाने रोज कितने स्थानीय लोग व यात्री भुगतते है लेकिन दोनों के ही कानों में जूं तक नही रेंगती।