मंजू रावत
(कोटद्वार)- भृस्टाचार को लेकर कोटद्वार नगर पालिका पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में प्रसिद्ध है। और बड़ी बात ये है कि कोटद्वार, उत्तराखण्ड का एक ऐसा शहर है जहाँ हर दूसरे घर मे किसी न किसी का रिस्तेदार उत्तराखण्ड का कोई बड़ा नेता जरूर होता है यहां तक कि वर्तमान में भी सूबे के वन मंत्री भी कोटद्वार के विधायक है। फिर भी यहा की नगर पालिका में भृस्टाचार थमने का नाम नही लेता। वही नगर पालिका से जुड़े कुछ मुद्दों पर जब कल एक महिला पत्रकार पालिकाध्यक्ष रश्मि राणा से सवाल करने पहुची तो उन्होंने तबियत खराब होने की बात कहकर कुछ भी बोलने से मना कर दिया, महिला पत्रकार के अनुसार ये पहली बार नही है जब ऐसा हुआ हो वो अक्सर पत्रकारों के सवालों के जवाब देने से बचती है और बहाना करती है इस घटना के कुछ देर बाद ही इलेक्ट्रानिक मीडिया के एक और पत्रकार द्वारा भी नगर की समस्याओं से जुड़े कुछ बिंदुओं को लेकर पालिकाध्यक्ष से सवाल किए गए तो उन्होंने फिर बात करने से मना कर दिया। जिंसके बाद महिला पत्रकार ने फेसबुक पर वो वीडियो डाला जिसमे पालिकाध्यक्ष ने बात करने से मना किया साथ ही नगर पालिका को लेकर कुछ टिप्पणी भी लिखी जो निम्न प्रकार है।
टिप्पणी- कोटद्वार नगर पालिका हर समय सवालों के घेरे में रहने को मजबूर है, पालिका प्रशासन सहित पालिका अध्यक्षा को शायद ही नगर के विकास कार्यो से अब कोई लेना देना बचा है, एक तरफ तो पालिका प्रशासन और पालिका अध्यक्षा द्वारा मिले बजट को उल जलूल कार्यो पर लगाकर अपना उल्लू सिधा करने पर तुली है, दूसरी ओर नगर में पालिका प्रशासन के कार्यो पर लगातार नगरवासीयों द्वारा सवाल खडे किए जा रहे हैं, इतना ही नहीं अब पालिका के सेवानृवित पेन्शन कर्मचारियों ने भी भ्रष्ट पालिका की कार्यप्रणाली को देखते हुए वर्तमान पालिका के खिलाफ मोर्चा खोला दिया है, पालिका के सेवानिवृत पेन्शन कर्मीयों ने वर्तमान पालिका प्रशासन पर उनकी अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए पालिका का विरोध किया है, लेकिन जब इस मर्तबा मीडिया द्वारा पालिका अध्यक्षा से सवाल जवाब किए गए तो पालिका अध्यक्षा ने मीडिया में बयान देने से साफ इंकार करते हुए अपना पल्ला झाड दिया और मीडिया को जवाब दिया इसके अलावा भी पालिका के पाास अन्य काफी काम है, जो कि वर्तमान पालिका अध्यक्षा की कार्यप्रणाली को स्वतः ही इंगित करती है कि पालिका अध्यक्षा नगर के विकास कार्यो सहित अपने कर्मीयों के प्रति कितनी संजिदा है, इसका जवाब तो खुद पालिका अध्यक्षा के मुख जुबानी से पता लग रहा है,
नगर पालिका कोटद्वार को शायद अपनी लचर कार्यप्रणाली के चलते अब हरदम चर्चाओं में रहने की आदत सी बन गयी है, नगर में स्वच्छता, अतिक्रमण, शौचालयों की खस्ता स्थिति के साथ ही नगर में अवैध निर्माण का बोलबाला पालिका प्रशासन की कार्यप्रणाली की पोल खोलने को काफी है, हर समय इन मुद्दों पर पालिका की लापरवाही जगजाहिर होते देखने को मिली है, पालिका मीडिया द्वारा सवाल भी खडे किए गए है लेकिन इन सबके बावजूद भी पालिका प्रशासन इस ओर शायद ही संजिदा हुई है, जो कि नगर पालिका प्रशासन और वर्तमान शिक्षित पालिका अध्यक्षा के कार्यप्रणाली पर बडे सवाल खडी कर रही है कि आखिर क्यों पालिका इस ओर ध्यान न देकर महज अपने कार्यो की इतिश्री करने पर तुली है, बतादें कि कोटद्वार नगर पालिका वर्तमान में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते हर दम सुर्खियों में है, आलम यह है कि नगर में हो रहे अवैध अतिक्रमण, पार्को के बुरे हाल, घोटालांे, पॉलीथिन बैन में पालिका का लचर कार्यनिर्वहन स्वतः ही नगर वासीयों के सामने है कि कैसें पालिका इन सब मुद्दो में फेल रही है, और जब इन सब मुद्दो पर मीडिया नगर पालिका प्रशासन को जगाने का काम करती है तो कभी पालिका अधिकारी व अध्यक्षा कार्यालय में नहीं मिलते तो और जब मिलते भी है तो वह मीडिया के सवालों से बचते नजर आते हैं और अपने बयान देने से साफ इंकार कर देते है
मामला तब सामने आया जब पालिका के सेवानिवृत पेन्शन कर्मीयों की 11 वर्षो से लम्बित पडी पेन्शन के मामले में मीडिया ने पालिका अध्यक्षा से वार्ता करनी चाही, लेकिन वर्तमान शिक्षित पालिका अध्यक्षा रश्मि राणा ने मीडिया में बयान देने से साफ मना कर दिया और इस पूरे मामले से ही अपना पल्ला झाड दिया, बतादें कि वर्तमान में कोटद्वार नगर पालिकाध्यक्ष नगर के विकास के मुद्दो को लेकर आम जनता तक से मिलने से कतराती ही है बल्कि अब तो वो पत्रकारों को भी किसी भी मुद्दे पर बात करने से साफ मना कर देती है, जब इस प्रकरण में पालिका अध्यक्षा से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने बात करनी चाही तो पालिका अध्यक्षा कैमरे से बचती नजर आयी और एक तुक में जवाब दिया कि उन्हें किसी भी मुद्दे पर कोई बात नहीं करनी है उनके पास और भी अन्य काम है, जबकि इसके उलट खुद पालिका से सेवानिवृत हुए पेन्शन कर्मी गत 11 वर्षो से अभी तक लम्बित पडी अपनी पेन्शन को लेकर दर दर की ठोकर खाने को मजबूर है, ऐसे में यह शिकायत अब सिर्फ एक पत्रकार की नही बल्कि कई पत्रकारों की और आम जनता की भी है, की आखिर अपनी मनमर्जी से नियमों को ताक पर रखकर काम करने वाली नगर पालिका कोटद्वार में हो रहे घोटालो पर पालिकाध्यक्ष क्यो मीडिया के कुछ क्यो नही बोलती, ये हाल तब है जब कोटद्वार सूबे के काबीना मंत्री हरक सिंह रावत की विधानसभा है, इस संबंध में डीएम पौड़ी और एसडीएम कोटद्वार से बात की गई तो उन्होंने भी कहा कि पालिकाध्यक्ष को अपने छेत्र में होने वाले कार्यो का संज्ञान लेते हुए मीडिया को जानकारी देनी चाहिए, लेकिन नगर पालिकाध्यक्ष रश्मि राणा का भृष्टाचार से जुड़े मुद्दों पर मीडिया के आगे कुछ न बोलना इस बात को साबित करता है कि नगर पालिका कोटद्वार अपनी शर्तों पर चलती है न कि विभाग के नियमो के अनुसार, सेवानिवृत पेन्शन कर्मीयों के मुताबिक 2006 से उनके पेन्शन का बकाया लम्बित पडा हुआ है, जिसे अब पूरे 11 साल हो चुके है, कई बार वर्तमान पालिका को इस ओर अवगत करा दिया गया है लेकिन पालिका लगातार उनकी अनदेखी कर रही है, वहीं अब शासन द्वारा राज्य वित आयोग से 2 करोड रूपए भी उनकी बकाया पेन्शन भुगतान को लेकर अवमुक्त कर दिए गये है लेकिन फिर भी पालिका अपनी मनमानी कर इस प्रकरण में उनकी समस्या का हल न कर पैसों को बोर्ड मिटींग में रख इधर उधर करने की योजना तैयार कर रहा है जो पालिका के बडते भ्रष्टाचार को जाहिर कर रहा है, उधर जब इस मर्तबा नगर पालिका अध्यक्षा से वार्ता की गयी तो उन्होने मीडिया में बयान देने से इंकार करते हुए और भी अन्य कामों का बहाना बनाते हुए पूरे मामले से अपना पल्ला झाड दिया।