खैरालिंग मेले की अनदेखी करता पर्यटन विभाग

पौड़ी- विकासखण्ड कल्जीखाल के मुण्डनेश्वर मंदिर परिसर में खैरालिंग मेले की लोकप्रियता को देखते हुए संस्कृति एवं पर्यटन विभाग को मेले के संचालन के लिए आगे आना चाहिए। इस वर्ष खैरालिंग मेला आस्था एवं विश्वास के साथ शांतिपूर्ण तरीके संपन्न हो गया।
मेले में शामिल कुछ प्रवासियों ने सुझाव दिया कि क्षेत्र में बढ़ती मेले की लोकप्रियता को देखते हुए अब समय आ गया है कि संस्कृति एवं पर्यटन विभाग को भी मेले के संचालन के लिए आगे आकर सहयोग करना चाहिए। बलिप्रथा बंद करने के समय सरकार ने मेले को सहायता देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक सरकार द्वारा मेले के आयोजन को कोई भी सहायता नहीं दी जाती है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मंदिर समिति को मेले को अधिक प्रभावी बनाने के लिये जागरूक लोगों के सुझाव भी लेने होंगे, ताकि मेले में अनुशासन बना रहे और लोगों को कोई असुविधा न हो। इस वर्ष खैरालिंग मेला आस्था एवं विश्वास के साथ शांतिपूर्ण तरीके संपन्न हो गया। पशुबलि उन्मूलन के कुछ साल तक इसमें लोग ज्यादा रूचि नहीं ले रहे थे, लेकिन इस वर्ष पूजा के सात्विक स्वरूप में होने के बावजूद मेले में हजारों की संख्या में लोग ने प्रतिभाग कर सबको हैरान कर दिया। इस वर्ष कई गांवों में सामूहिक पूजन व भंडारों का आयोजन अधिक संख्या में होने से प्रवासी लोग भी अधिक आये थे। जिससे मेले में भारी भीड़ देखने को मिली। मेले में कई लोग जिनके बच्चे इधर-उधर हो गये थे, पुलिस को उन्हें ढूंढ़ने में कई घंटे लग गये।
बतातें चलें कि मेले के पहले दिन परंपरा के अनुसार पट्टी असवालस्यूं के धमेली के ग्रामीणों ने देवी के निशान ध्वज को मंदिर में स्थापित किया। इसके बाद ही शिव एवं शक्ति के मंदिर में अलग-अलग पूजा का सिलसिला जो शुरू हुआ अनवरत चलता रहा। मंदिर परिसर में मेले के दोनों दिन दूर-दूर से आये कारोबारियों ने सैकड़ों दुकाने लगाई। वहीं सरकारी विभागों ने स्टॉल लगाकर लोगों को विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी। मेले के दूसरे दिन गरीब क्रांति अभियान की जागर यात्रा डौंर एवं थाली बजाते हुये निकली और गांवों को बसाने के लिये पम्पलेट बांट कर चकबंदी का संदेश लोगों तक पहुंचाया।

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