गर्त में जाती पत्रकारिता : लेने लगे अब बदनामी के टेंडर ।

चुनाव के चलते बशर्ते आदर्श आचार संहिता लगी हो लेकिन यमुनोत्री विधानसभा में चुनाव आदर्श आचार व्यवहार के चलते लड़ा जा रहा हो ऐसा नहीं दीखता या यूं कहें कि नेताओं के लिए शायद आदर्श जैसा कुछ होता हो इस पर शक है..!

उत्तराखंड न्यूज 24.कॉम के पास विधानसभा चुनाव में यमुनोत्री विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी दीपक बिजल्वाण और किसी पत्रकार के बीच बात चीत का एक ऐसा आडियो क्लिप मौजूद है जिससे आपको लग जायेगा कि चुनाव जीतने के लिए प्रतिद्वंद्वी किस हद तक किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पंहुचाने के लिए कोशिशें और षड्यंत्र करने पर उतारू हैं।

इस बातचीत में पत्रकार द्वारा दीपक बिजल्वाण को बताया जा रहा है कि चुनावों में उनके एक प्रतिद्वंदी जो कि निर्दलीय प्रत्याशी हैं वे और उनके भाई द्वारा चुनावी फायदे के लिए दीपक बिजल्वाण के खिलाफ भ्रष्टाचार में लिप्त होने का माहौल बनाया जा रहा है जिसके लिए जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए दीपक बिजल्वाण द्वारा किये गए कार्यों की सूचि कुछ न्यूज पोर्टल्स व चैनल्स को दी गयी है व इन न्यूज पोर्टल्स जिनकी संख्या सम्भवतया 5 है को यह झूठी खबर फैलाने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी द्वारा टेंडर दिया गया है।

बात चीत से यह भी पता चलता है कि दीपक बिजल्वाण के खिलाफ यह माहौल बनाने के लिए कुछ न्यूज पोर्टलों व सम्भवतया न्यूज चैनलों को भी शामिल किया गया हो जबकि इस बात चीत में दीपक बिजल्वाण कहते हुए पाए जा रहे है कि है कि उक्त सूची फर्जी व असत्य है व विरोधियों द्वारा हार के भय से झूठा माहौल बनाया जा रहा है।

लगभग चौदह मिनट की इस बात चीत को यदि सत्य मानें तो यह भी बड़ी चिंता का विषय है कि लोकतंत्र में निर्विवाद व खबरों की तह में जा कर जनपक्षीय खबरों की बुनियाद के लिए जाना जाने वाला चौथा स्तंभ याने मीडिया किस हद तक रसातल में जा रहा है कि फायदे के लिए किसी भी खबर को प्रचारित प्रसारित करने को तैयार है ।

जहां तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए दीपक बिजल्वाण पर भ्रष्टाचार के आरोपों का प्रश्न है तो यह बात सही है कि उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे किंतु बिंदु यह भी है कि उन आरोपों पर कमिश्नरी जाँच की गयी जिसमें उनके खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं हुए।

हालांकि सत्तारूढ़ निवर्तमान भाजपा सरकार द्वारा श्री बिजल्वाण को इस कमिश्नरी जाँच में दोषमुक्त होने के बावजूद भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद स पदमुक्त करने का आदेश दिया गया था जिस पर दीपक बिजल्वाण को माननीय न्यायालय से राहत मिल गयी है, हालांकि सरकार द्वारा उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष पद से पदमुक्त करने का निर्णय ठीक बिजल्वाण के उस निर्णय के बाद लिया गया जब उन्होंने विपक्षी राजनैतिक दल कांग्रेस को जॉइन किया था, ऐसे में सरकार की मंशा पर भी सवाल उठे थे जो कि स्वाभाविक भी थे।

खैर आगे जो भी हो जनता का फैसला किसी न किसी के हक में तो जरूर होगा लेकिन सवाल इस बात का कि लोकतंत्र के पर्वों में झूठ फरेब व संचार संसाधनों का चुनाव जीतने के लिए इस हद तक इस्तेमाल करने वाले ही लोकतंत्र के अकेले दोषी नहीं बल्कि वे न्यूज पोर्टल चैनल अथवा अन्य संचार माध्यम भी उतने ही दोषी हैं जिनके कांधों पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का प्रतिनिधित्व करने का महत्वपूर्ण जिम्मा व खबरों को परख कर प्रसारित करने की भी जिम्मेदारी है।

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