पौड़ी-उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसों में जिन लोगो को मुफ्त यात्रा की सुविधा दी गयी है उन्हें आर्थिक स्तिथी के आधार पर ही ये सुविधा मिलनी चाहिए। क्योकि परिवहन निगम पहले से ही काफी नुकसान में चल रहा है। क्योंकि इसका लाभ ज्यादातर वो लोग उठा रहे है जो आर्थिक रूप से टिकट लेकर यात्रा करने में सक्षम है। ये सुविधा सबसे पहले पहाड़ में बसे आर्थिक रूप से कमजोर लोगो को मिलनी चाहिए न कि उस श्रेणी का फायदा उठाने वाले अन्य व्यक्ति को जो आर्थिक रूप से सक्षम है। एक यात्री ने पौड़ी जनपद के रिखणीखाल से कोटद्वार के बीच अपनी यात्रा की आपबीती सुनाकर इस बात को कुछ इस तरह जाहिर किया
14 नवम्बर को रिखणीखाल से कोटद्वार आये यात्री avneesh agnihotri की फेसबुक पोस्ट से- कल इस बस से मैं रिखणीखाल से कोटद्वार आया(बस न. UK07PA1390), इस बस में कुल 20 यात्री सवार थे, जिनमें से 15 वरिष्ठ नागरिक होने के कारण नि:शुल्क आये थे(सरकारी योजना के तहत)। उनमें सिर्फ 4-5 से मैंने बात की तो पता चला कि वो टिकट लेने को सक्षम है और दो रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी भी थे। वही कुछ अत्यधिक गरीब और ग्रामीण छेत्रो के वरिष्ठ नागरिक थे। परिवहन निगम के अनुसार वर्तमान स्तिथी में निगम अत्यधिक नुकसान मे है। और यदि ऐसे में ठीक-ठाक स्तिथी वाले वरिष्ठ नागरिक या अन्य कोई भी आरक्षित श्रेणी के व्यक्ति बसों में सफर करेंगे तो वो दिन दूर नही जब सरकारी बसे पहाड़ो से हटाकर दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे रुट पर ही चलती दिखाई देंगी। और इससे नुकसान पहाड़ के उन गरीब बुजुर्गों और विकलांगो को होगा जो इसके असली हकदार है। इसलिए वरिष्ठ नागरिकों को छूट उनकी आर्थिक स्तिथी के आधार पर देनी चाहिए। बुजुर्गों का सम्मान मैं भी करता हु लेकिन जरूरतमंद बुजुर्ग व्यक्ति को यदि इस योजना से भविष्य में इससे नुकसान होगा तो शायद ये भी ठीक नही। मेरी ये पोस्ट आज कई लोगो को बुरी लगेगी लेकिन एक बार सोचकर देखे की यदि सरकार ने ये योजना बन्द ही कर दी तो इसके असली हकदारों अर्थात जरूरतमंद बुरुर्गो को भी तो नुकसान होगा। इसलिए बसों में किसी भी श्रेणी में आरक्षण उनकी आर्थिक स्तिथी के आधार पर होना चाहिए।