गजब। प्रसाशन को ही नही पता कोटद्वार में है कितने इंस्टिट्यूट और कहा होता है इनका पंजीकरण। अब सूचना आयोग में गई शिकायत

अवनीश अग्निहोत्री (कोटद्वार)- पहाड़ के सीधे-साधे युवाओ को बड़े-बड़े व झूठे सपने दिखाकर मैनेजमेंट कोर्स कराने वाले और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले फर्जी इंस्टिट्यूट (संस्थानों) के बारे में कोटद्वार व पौड़ी जनपद के जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों को दूर-दूर तक कोई जानकारी नही है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब यमकेश्वर ब्लॉक का एक छात्र सुनील रावत यहा एक इंस्टीट्यूट से होटल मैनेजमेंट डिप्लोमा कोर्स कर दिल्ली में नौकरी करने गया, और वहां उसके सेर्टिफिकेट को देखकर ये कह दिया गया कि ये किसी सरकारी यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त नही है न ही किसी अन्य सरकारी विभाग या संस्थान से पंजीकृत है। इसलिए हम आपके 12वीं पास बोर्ड के आधार पर ही आपको नौकरी और वेतन दे पाएंगे। जिसके बाद उसे पता चला कि जिस इंस्टिट्यूट की चमक-धमक देखकर उसने एड्मिसन लिया था वो सिर्फ सोसाइटी के पंजीकरण पर ही चल रहा था। साथ ही ये भी पता चला कि उसके आधार पर सुनील को सरकारी नौकरी भी नही मिल पाएगी। परेशान हो चुके सुनील ने जब दिल्ली से अपने परिचित एक व्यक्ति को कोटद्वार में इस बारे में पूरी जानकारी दी तो उन्होंने सुनील के दिल की तसल्ली और सच्चाई जानने के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत उपजिलाधिकारी कोटद्वार कार्यालय से निम्न बिंदुओं पर सूचना मांगी गई। अब आपको ये भी बता दे कि वो कौन-कौन से बिंदू थे जिनकी जानकारी मांगी गई थी।1- कोटद्वार में कुल कितने होटल मैनेजमेंट, रिटेल मैनेजमेंट, हॉस्पिटेलिटी मैनेजमेंट, एवियेशन मैनेजमेंट, मास कम्युनिकेशन व अन्य मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट पंजीकृत है।
2- बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे संस्थानों पर प्रसाशन द्वारा अब तक क्या कार्यवाही की गई।
3-प्रसाशन द्वारा अब तक कितनी बार मौके पर जाकर ऐसे संस्थानों का निरीक्षण किया क्या।
4- ऐसे मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट(संस्थानों)के लिए क्या मानक होते है।
5- इन संस्थानो का पंजीकरण किस-किस विभाग में होता है। कोटद्वार में इसका कार्यालय कहा पर है।
जवाब में उपजिलाधिकारी कोटद्वार कार्यालय से सूचना मिली कि इस संबंध में उनके पास जानकारी नही है। लेकिन कार्यालय द्वारा संबंधित विभाग को भी ये पत्र स्थानांतरित नही करा गया। जिसके बाद प्रथम अपीलीय अधिकारी जिलाधिकारी पौड़ी के पास इसकी अपील की गई। जिसके बाद पिछले 3 महीने में 3 बार जिलाधिकारी पौड़ी कार्यालय से सूचना चाहने वाले व्यक्ति को व उपजिलाधिकारी कोटद्वार को अपील में बुलाया गया और हर बार एक पत्र भेज दिया गया कि अपरिहार्य कारणों के चलते आपकी अपील की सुनवाई नही हो सकी। तीसरी बार भेजे गए इस पत्र के बाद एक बार फिर जिलाधिकारी पौड़ी/अपीलीय अधिकारी द्वारा उपजिलाधिकारि कोटद्वार/लोक सूचनाधिकारी के पास पत्र भेजा गया कि कृपया संबंधित विभाग को पत्र स्थानांतरित कर प्रार्थी को इसकी सूचना उपलब्ध कराए। इसके बाद उपजिलाधिकारी कोटद्वार कार्यालय से प्रार्थी को पत्र आता है कि आपके द्वारा मांगी गई सूचना के लिये आपके पत्र को जिला उद्योग केंद्र कोटद्वार व पर्यटन विभाग कोटद्वार को भेजा जा चुका है तथा विभाग आपको सूचना उपलब्ध करा देगा। जबकि मांगी गई सूचनाएं इन दोनों ही विभागों से सम्बंधित नही है, और न ही इन दोनों विभागों ने भी दो महीने से कोई जवाब दिया। ऐसे में साफ जाहिर होता है कि जिन अधिकारियों को जिम्मेदार पदों पर बैठाया गया है उन्हें अपने छेत्र में हो रहे फर्जी संस्थानों की कितनी जानकारी है, और इतनी बार प्रार्थी व जिलाधिकारी द्वारा पत्र व्यवहार किये जाने के बाद भी ऐसे संस्थानों पर कार्यवाही न होने से युवाओ के भविष्य के साथ तो खिलवाड़ तो ही रहा है, साथ ही उनके माता-पिता की गाढ़ी कमाई लूटना व बच्चो का समय भी बर्बाद करना एक किया जा रहा है। प्रार्थी ने हमें ये भी बताया कि 30 नवम्बर को उन्होंने इस सूचना से संबंधित सभी पत्रों की छायाप्रति व शिकायती पत्र उत्तराखण्ड सूचना आयोग को भेजकर सूचना न देने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है। इस सम्बंध में जब उपजिलाधिकारी कोटद्वार राकेश तिवारी से बात की गई कि आपके द्वारा फर्जी संस्थानो पर अब तक क्या कार्यवाही की गई तो उनका जवाब था कि जब कोई लिखित शिकायत देगा तो हम कार्यवाही जरूर करेंगे। साथ ही ये भी बताया कि हमे किसी भी स्थान पर निरीक्षण के दौरान सम्बंधित विभाग के अधिकारी के साथ ही जाना होता है। इस पर उपजिलाधिकारी से जब ये सवाल किया गया कि मैनेजमेंट संस्थानों को कौन से सम्बंधित विभाग के अधिकारी देखते है तो वो कोई संतोषजनक जवाब नही दे पाए लेकिन फिर भी इतना जरूर बोल गए कि जल्द ही ऐसे संस्थानों पर कार्यवाही की जाएगी।

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