भारत का सैटेलाइट करेगा पड़ोसी देशों की मदद

नई दिल्‍ली- हमारे देश ने अब तक कई सफल उड़ाने भारी है अब उसी में एक और नाम जुड़ चुका है। दुनिया में एक मिशन के तहत सबसे अधिक सैटेलाइट्स की सफल लॉन्चिंग के बाद भारत दक्षिण एशियाई देशों के लिए GSAT-9 को अंतरिक्ष में भेज दिया। इसे सतीश धवन स्‍पेस स्‍टेशन से लगभग एक सप्ताह पूर्व भेजा गया। इस क्षेत्र के देशों के लिए यह काफी अहम उपहार है। पड़ोसी देश नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका के लिए भारत का यह उपहार कई मायनों में अहम भूमिका निभाएगा, क्‍योंकि इनमें से ज्यादातर देशों का या तो अपना कोई सैटेलाइट नहीं है या फिर उससे मिलने वाली सेवाएं इसके जितनी खास नहीं हैं।
इस सैटेलाइट लॉन्चिंग से जुड़ी एक बड़ी बात यह भी है कि इस सैटेलाइट की सेवाओं के लिए भारत ने किसी भी अन्‍य देश से कोई आर्थिक सहायता नहीं ली है। इसका अर्थ है कि इस क्षेत्र के सभी देश इस सैटेलाइट से मिलने वाली जानकारियों को अपने हित के लिए इस्‍तेमाल कर सकेंगे। हालांकि पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान से इसका कोई संबंध नही है।
अपनी 11वीं उड़ान के ज़रिए जीएसएलवी रॉकेट एक खास उपग्रह साउथ एशिया सैटलाइट को अंतरिक्ष में अपनी कक्षा में स्थापित करेग। यह नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, श्रीलंका को दूरसंचार की सुविधाएं मुहैया कराएगा। इसके ज़रिए सभी सहयोगी देश अपने-अपने टीवी कार्यक्रमों का प्रसारण कर सकेंगे। किसी भी आपदा के दौरान उनकी संचार सुविधाएं बेहतर होंगी। इससे देशों के बीच हॉट लाइन की सुविधा दी जा सकेगी और टेली मेडिसिन सुविधाओं को भी बढ़ावा मिलेगा। साल के अंत तक बांग्‍लादेश अपना खुद का बंगबंधू -1 कम्यूनिकेशन सैटेलाइट छोड़ने की योजना बना रहा है। वहीं श्री लंका भी 2012 में चीन की मदद से अपना कम्‍यूनिकेशन सैटेलाइट सुप्रीम सेट लॉन्च कर चुका है।
GSAT-F09 एक जियोस्‍टेशनरी कम्‍यूनिकेशन सैटेलाइट है, जो केयू बैंड के तहत सभी जानकारियां मुहैया करवाएगा। इसका वजन करीब 2230 किग्रा है। यह अंतरिक्ष में करीब 12 वर्षों तक लगातार काम कर सकेगा। इस सैटेलाइट की लागत करीब 235 करोड़ रुपये है जबकि सैटेलाइट के लॉन्च समेत इस पूरे प्रोजेक्ट पर भारत 450 करोड़ रुपए खर्च करेगा।

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