Goa NightClub Fire: अवैध निर्माण की शिकायत के बाद भी चलता रहा नाइट क्लब, 25 मौतों ने उजागर किए सुरक्षा प्रबंधन के गंभीर सवाल
गोवा के अरपोरा क्षेत्र में स्थित नाइट क्लब में लगी भीषण आग ने 25 लोगों की जान ले ली। यह हादसा सिर्फ लापरवाही का परिणाम नहीं, बल्कि प्रशासनिक अनदेखी, अवैध निर्माण और सुरक्षा नियमों की खुलेआम अनदेखी का चिंताजनक उदाहरण बनकर सामने आया है। आग लगने के बाद शुरू हुई जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जो यह सवाल खड़े करते हैं कि जब क्लब के अवैध निर्माण को लेकर पहले भी शिकायतें हुई थीं, तो इसके संचालन पर रोक क्यों नहीं लगी?
अवैध निर्माण और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन
शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि नाइट क्लब का निर्माण अवैध था और इसके लिए कोई अधिकृत लाइसेंस भी जारी नहीं किया गया था। इतना ही नहीं, क्लब में आग से बचाव के लिए जरूरी सुरक्षा इंतजाम भी नदारद थे।
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने घटना को गंभीर मानते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
अरपोरा–नागोवा के सरपंच रोशन रेडकर ने खुलासा किया कि नाइट क्लब के अवैध निर्माण को लेकर पहले भी पंचायत में शिकायत दर्ज हुई थी। जांच में पाया गया कि क्लब बिना लाइसेंस के बनाया गया था। पंचायत ने इसे तोड़ने का आदेश भी दिया था, लेकिन क्लब के मालिकों की अपील के बाद पंचायत निदेशालय ने इस आदेश पर स्टे लगा दिया।
आग कैसे लगी? जांच में दो तरह के दावे
गोवा पुलिस प्रमुख आलोक कुमार के अनुसार, आग सिलेंडर में विस्फोट की वजह से लगी।
लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों ने अलग दावा किया है। उनका कहना है कि आग पहली मंजिल से भड़की, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक डांस कर रहे थे।
हैदराबाद की पर्यटक फातिमा शेख ने बताया,
“अचानक आग की लपटें उठीं। जब तक लोग बाहर निकलने की कोशिश करते, पूरा क्लब आग से घिर चुका था।”
संकरी एंट्री–एग्जिट और वेंटिलेशन की कमी ने बढ़ाया खतरा
कई प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग लगते ही अफरातफरी मच गई, लेकिन क्लब के एंट्री और एग्जिट गेट इतने संकरे थे कि लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे।
जो लोग नीचे की सीढ़ियों तक पहुंचे, वे ग्राउंड फ्लोर के किचन से उठे घने धुएं में फंस गए। ग्राउंड फ्लोर पर वेंटिलेशन न होने से दम घुटने से कई लोगों की मौत हुई। यही कारण है कि अधिकांश शव सीढ़ियों से बरामद किए गए।
पानी में स्थित क्लब और पतली पहुंच — रेस्क्यू में आई मुश्किलें
नाइट क्लब पानी के ऊपर बने एक अस्थायी प्लेटफॉर्म पर बनाया गया था और इसे जमीन से जोड़ने वाला रास्ता काफी संकरा था।
इसके कारण दमकल कर्मियों को आग पर काबू पाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
बताया जा रहा है कि क्लब के निर्माण में ताड़ की सूखी पत्तियों का व्यापक इस्तेमाल हुआ था, जिस कारण आग तेजी से फैली।
वीकेंड भीड़ बनी मौत का कारण
वीकेंड होने के कारण क्लब में अत्यधिक भीड़ थी।
करीब 100 से अधिक लोग डांस फ्लोर पर मौजूद थे।
मरने वालों में 14 नाइट क्लब कर्मचारी, 4 पर्यटक शामिल हैं, जबकि 7 शवों की पहचान की जा रही है।
स्थानीय प्रशासन और कानूनी प्रक्रिया पर भी उठे सवाल
सरपंच रोशन रेडकर के अनुसार,
पंचायत ने क्लब को अवैध निर्माण के आधार पर गिराने का आदेश दिया था, लेकिन पंचायत निदेशालय ने स्टे देकर इस फैसले को रोक दिया।
गोवा पंचायती राज अधिनियम के तहत स्थानीय निकाय के फैसले पर कोई भी व्यक्ति निदेशालय में अपील कर सकता है, और डिप्टी डायरेक्टर फैसले को बरकरार रख सकते हैं या पलट सकते हैं।
यही प्रक्रिया इस मामले में सवालों के घेरे में है —
क्या स्टे के फैसले ने 25 लोगों की जान ले ली?



