‘अपनी मातृभाषा को कभी न भूलें’, ओल चिकी लिपि के शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संदेश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को देशवासियों से अपनी-अपनी मातृभाषाओं को कभी न भूलने की अपील की। उन्होंने कहा कि नई भाषाएं सीखना गलत नहीं है, लेकिन अपनी जड़ों से जुड़ी मातृभाषा को हमेशा जीवित रखना चाहिए। राष्ट्रपति यह बातें संताली भाषा की ओल चिकी लिपि के शताब्दी समारोह और 22वें संताली ‘पारसी महा’ (भाषा दिवस) के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं।

यह कार्यक्रम झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर शहर के बाहरी इलाके करांडीह स्थित डिशोम जहेरथान प्रांगण में आयोजित किया गया। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में समाज की बेहतरी के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

संताली प्रार्थना गीत से की भाषण की शुरुआत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण की शुरुआत संताली भाषा में ‘जाहेर आयो’ (आदिवासी मातृ देवी) की स्तुति में एक प्रार्थना गीत गाकर की। इसके बाद उन्होंने संताली भाषा में ही लोगों से अपील करते हुए कहा कि हर भाषा सीखना अच्छी बात है, लेकिन बातचीत के दौरान अपनी मातृभाषा के प्रयोग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि ओल चिकी लिपि अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है और इसका अधिक से अधिक उपयोग संताली भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए किया जाना चाहिए।

ओल चिकी के संरक्षण में टाटा स्टील की सराहना

राष्ट्रपति मुर्मू ने ओल चिकी लिपि को बढ़ावा देने में टाटा स्टील के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि समाज के समग्र विकास के लिए सरकार, उद्योग और समाज—सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे।

इस दौरान उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के विकास के लिए 24,000 करोड़ रुपये की राशि जारी की है, ताकि इन समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।

संताली साहित्य से जुड़े 12 लोगों को सम्मान

कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने संताली साहित्य और भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले 12 प्रतिष्ठित संताली व्यक्तित्वों को सम्मानित भी किया।

इस अवसर पर झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम से टीएमसी सांसद एवं पद्मश्री सम्मानित कालीपाड़ा सोरेन भी उपस्थित रहे।

ओल चिकी आंदोलन के 100 वर्ष पूरे

यह समारोह पंडित रघुनाथ मुर्मू द्वारा वर्ष 1925 में शुरू किए गए ओल चिकी आंदोलन के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ओल चिकी लिपि के जनक पंडित रघुनाथ मुर्मू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति मुर्मू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर के 15वें दीक्षांत समारोह में भी शामिल होने वाली हैं।

Previous articleUP News: काशी में गंगा की लहरों के बीच युवक ने अपनाया सनातन धर्म, असद से बने अथर्व त्यागी