नई दिल्ली।
कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर तीखा प्रहार करते हुए आरोप लगाया है कि सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को एकाधिकार और द्वैधाधिकार के भरोसे छोड़ दिया है। इसके चलते छोटे और मझोले कारोबार (एमएसएमई) नौकरशाही, जटिल नियमों और गलत जीएसटी नीतियों की जंजीरों में जकड़ गए हैं। राहुल गांधी ने कहा कि बड़े कॉरपोरेट घरानों को खुली छूट दी जा रही है, जबकि देश की रीढ़ माने जाने वाले छोटे व्यापारी अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं।
राहुल गांधी ने यह बातें वैश्य समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ हुए एक विस्तृत व्यापार संवाद के बाद कहीं। इस संवाद में जूता निर्माण, कृषि उत्पाद, औद्योगिक इलेक्ट्रिकल्स, कागज-स्टेशनरी, ट्रैवल, पत्थर कटिंग, केमिकल और हार्डवेयर जैसे विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े कारोबारी शामिल हुए। व्यापारियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनका व्यवसाय ‘ढहने की कगार’ पर पहुंच चुका है और भविष्य को लेकर गहरी निराशा व्याप्त है।
छोटे व्यापारियों की आवाज दब रही: राहुल
राहुल गांधी ने कहा कि जो समुदाय दशकों से रोजगार और संपत्ति का सृजन करता आया है, वही आज सबसे ज्यादा हताश है। इसे उन्होंने अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी करार दिया। उनका कहना था कि यह केवल व्यापारियों का संकट नहीं, बल्कि देश के उत्पादन, रोजगार और भविष्य पर सीधा हमला है।
एकाधिकार बनाम एमएसएमई
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मौजूदा शासन मॉडल कुछ चुनिंदा बड़े कॉरपोरेट समूहों के इर्द-गिर्द घूम रहा है। उन्होंने कहा कि एकाधिकार और द्वैधाधिकार आधारित नीतियां देश की उत्पादन क्षमता को कमजोर कर रही हैं। छोटे और मझोले कारोबारी, जो देश की आर्थिक रीढ़ हैं, उन्हें नौकरशाही और जटिल प्रक्रियाओं के बोझ तले दबा दिया गया है।
जीएसटी व्यवस्था पर गंभीर सवाल
व्यापारियों ने संवाद के दौरान जीएसटी व्यवस्था को “सुधार की जगह उत्पीड़न का औजार” बताया। उनका आरोप था कि जीएसटी के अव्यावहारिक और तर्कहीन स्लैब जानबूझकर ऐसे बनाए गए हैं, जिससे एमएसएमई लंबे समय तक टिक न सकें। राहुल गांधी ने जीएसटी को एक बार फिर ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बताते हुए कहा कि इस व्यवस्था ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है।
व्यापारियों ने यह भी कहा कि कच्चे माल पर जीएसटी बढ़ाकर और तैयार माल पर घटाकर सरकार उपभोक्ता राहत का भ्रम पैदा कर रही है, जबकि इसका सीधा नुकसान छोटे उद्योगों को हो रहा है।
‘आत्मनिर्भर भारत’ पर सवाल
संवाद में शामिल व्यापार प्रतिनिधियों ने दावा किया कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ जमीनी स्तर पर एक राजनीतिक नारे तक सीमित रह गया है। उनके अनुसार, मौजूदा नीतियों के चलते भारत पहले से अधिक चीन पर निर्भर होता जा रहा है। राहुल गांधी ने दोहराया कि तीन-चार अरबपति देश को रोजगार नहीं दे सकते। रोजगार तभी सृजित होगा, जब उत्पादन बढ़ेगा और एमएसएमई को मजबूत किया जाएगा।
वैश्य समुदाय का समर्थन
संवाद के अंत में व्यापारियों ने कहा कि उन्होंने पहले राहुल गांधी की चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया था, लेकिन मौजूदा हालात ने सारी गलतफहमियां दूर कर दी हैं। उन्होंने लोकतांत्रिक भारत, उत्पादन आधारित अर्थव्यवस्था, रोजगार सृजन और आर्थिक न्याय के लिए राहुल गांधी के संघर्ष और दृष्टि के साथ खड़े होने का संकल्प जताया।
राहुल गांधी के इन बयानों के बाद सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच आर्थिक नीतियों को लेकर सियासी टकराव और तेज होने के आसार हैं। जहां कांग्रेस सरकार पर एकाधिकार को बढ़ावा देने का आरोप लगा रही है, वहीं भाजपा लगातार अपनी नीतियों को विकासोन्मुखी और सुधारात्मक बताती रही है। आने वाले दिनों में यह बहस और तीखी होने की संभावना है।



