कुमाऊं कमिश्नर भट्ट पर आरोप थमने का नाम नही ले रहे⁠⁠⁠⁠

नैनीताल- कुमाऊं कमिश्नर पद पर तैनात चंद्रशेखर भट्ट ने शनिवार अपराह्न कार्यभार ग्रहण कर लिया है। उन्होंने कहा कि पहाड़ की पृष्ठभूमि से हैं। उन्हें यहां की भौगोलिक स्थिति की जानकारी है। समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकार की योजना का पहुंचाने की प्राथमिकता होगी। नैनीताल झील सहित यहां की ट्रैफिक समस्या का स्थाई हल खोजने का प्रयास होगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा अधिकारी व कर्मचारी समय पर दफ्तर पहुंचे। राजस्व वादों के निस्तारण में भी तेजी लाने के निर्देश जारी किए जाएंगे।

राज्य आंदोलन के दौरान उनके मजिस्ट्रेट रहते गोली चलाने के आदेश को लेकर सोशियल मिडिया चल रही चर्चा पर भट्ट ने कहा कि सीबीआई उन्हें क्लीन चिट दे चुकी है।

वही ये भी चर्चा है कि पौडी जिले के डीएम रहते इन्होंने अवैध अतिकर्मकारियों पर उचित कार्यवाही न करते हुए उसे और बढ़ावा दिया था और कोटद्वार में हुए प्रदेश स्तर के करोड़ो रूपये के सरकारी राशन घोटाले में भी दोषियों पर उचित कार्यवाही न करने को लेकर भी भट्ट चर्चा में रहे।

इसके साथ ही कुछ समय पूर्व एनके शर्मा नाम के एक समाज कल्याण अधिकारी के प्रमोशन के लिए जब इनके पास फाइल पहुची थी तो इन्होंने रिपोर्ट में लिखा था कि वे सचिवालय संवर्ग में आते है जबकि वो सचिवालय संवर्ग में नही आते, जिस कारण उनका प्रमोशन रुक गया था। इन बातों में कितनी सच्चाई है ये तो जांच का विषय है पर भट्ट फिलहाल एक विवादित नाम बन चुके है।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने भी चंद्रशेखर भट्ट को पदोन्नति देकर कुमाऊ कमिश्नर बनाये जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा है की इतने आरोप लगने के बाद उन्हें पदोन्नति देने से उन ईमानदार अधिकारियों का मनोबल टूटता है जो जनता की सेवा में पूरी तरह समर्पित रहते है और वो भी धीरे धीरे नेताओ की चमचागिरी और भृस्टाचार, कमीशनखोरी की और कदम बढ़ाने लगते है। फिलहाल भाजपा सरकार भट्ट को कुमाऊं कमिश्नर बनाने के बाद एक बार फिर चर्चा में आ चुकी है। वही कांग्रेस साशन में हुए एनएच घोटाले पर भी कड़ी कार्यवाही न करके जनता की नजर में दोनों ही पार्टियां भृस्टाचार के मामले में एक सिक्के के दो पहलू की तरह दिख रही है। और दोनों ही पार्टियों से उत्तराखण्ड की जनता का भरोसा उठता दिख रहा है।

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