बुलंदशहर- भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को कानून का पाठ पढ़ाना एक महिला पुलिस अधिकारी को महंगा पड़ गया है। बुलंदशहर के सियाना सर्किल की सीओ श्रेष्ठा ठाकुर का तबादला बहराइच कर दिया गया है। दरअसल महिला पुलिस अधिकारी ने सड़क पर चेकिंग के दौरान बीजेपी के नेताओं पर कार्रवाई की थी। वाहनों के कागज चेक करने पर महिला पुलिस अधिकारी ने नेताओं का चालान काट दिया था। यही नहीं बहस जब आगे बढ़ी तो उन्हें जेल भी भेज दिया था।
बता दें कि 25 जून को यू-ट्यूब चैनल पर इस घटना का वीडियो अपलोड किया था। जिसे अब तक लाखो लोग देख चुके हैं।
इस घटना के बाद महिला पुलिस अधिकारी भाजपाई नेताओं और कार्यकर्ताओं के आंख की किरकिरी बन गईं। पार्टी के 11 विधायक और सांसद प्रतिनिधिमंडल ने एक बैठक की। जिसके बाद महिला पुलिस अधिकारी का तबादला करने का फैसला किया गया।
वहीं तबादला किए जाने के बाद श्रेष्ठा ठाकुर ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होने क्या लिखा…
”जहां भी जाए गा,रौशनी लुटाए गा
किसी चराग का अपना मकां नहीं होता
बहराइच ट्रांसफर कर दिया गया है, यह नेपाल बॉर्डर पर है। मेरे दोस्तों चिंता मत करिए मैं खुश हूं, मैं अपने अच्छे कामों के लिए इस पुरस्कार को स्वीकार करती हूं। बहराइच में आप सब आमंत्रित हैं।”
ऐसी ही एक घटना कुछ वर्ष पूर्व उत्तराखण्ड के कोटद्वार में भी देखने को मिली थी फर्क सिर्फ इतना है कि उस समय प्रदेश में सरकार कांग्रेस की थी और कोटद्वार कोतवाली में तैनात तत्कालीन महिला कोतवाल अंशू चौधरी को भी अपनी ईमानदारी का इनाम श्रेष्ठा ठाकुर की तरह ट्रांसफर ही मिला था। अंशू चौधरी के कार्यकाल को आजतक कोटद्वार की जनता नही भूल पायी है,
जिन्होंने कोटद्वार में अपराध पर लगाम लगाने के साथ ही ट्रैफिक और बढ़ते नशे पर भी लगाम लगाई थी। थाने में दलालो का उठना बैठना बंद हो गया था, किसी भी केश में नेताओ की सिफारिशें आनी बंद हो गयी थी और कुछ की आती भी थी तो भी वो अपने काम को गैर राजनीतिक ढंग से और नियम कानून के अनुसार ही करती थी। इतना ही नही यूपी में योगी सरकार के एन्टी रोमियो एसक्योड़ की तरह ही अंशू ने भी कोटद्वार में मंचले आशिको पर भी लगाम लगाई थी, फर्क सिर्फ इतना है कि योगी सरकार की पुलिस चार दिन में ही ढीली पड़ने लगी थी पर अंशू ने कोटद्वार में आखरी दिन तक अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभाई। हालांकि अंशू को ट्रांसफर होने के कुछ ही दिन बाद उन्हें प्रमोशन भी दिया गया था क्योंकि वो अपनी कार्यकुशलता को लेकर पुलिस मुख्यालय तक चर्चाओ में रहती थी इसलिए वरिष्ठ अधिकारी भी उनका सम्मान करते थे। इस ट्रांसफर से अंशू पर कोई खास फर्फ़ नही पड़ा क्योंकि ट्रांसफर एक कानूनी प्रक्रिया है वो बात अलग है कि कोटद्वार से ट्रांसफर राजनैतिक दबाव में हुआ था पर आम जनता आज भी उस समय को याद करती है जब अपने घर से बाहर जाते समय चोरी का डर नही होता था, सड़को पर गाड़ी चलाते समय ट्रैफिक नही होता था, शाम को शराबी पति होश में घर आता था और पूरा परिवार साथ बैठकर खाना खाता था, बच्चे स्कूल/ ट्यूशन से सीधे घर जाते थे, नशेड़ियों ने नशा छोड़ दिया था पर नही छूट पायी थी तो बस एक आदत और वो थी कोटद्वार के नेताओ की पुलिस पर दबंगई। पर हालही में तत्कालीन एसएसपी पौड़ी मुख्तार मोहसीन द्वारा भी जब कोटद्वार में बढ़ते अपराधों को लेकर बैठक रक्खी गयी थी तो वह भी अंशू चौधरी के कार्यकाल की सराहना की गई थी।