अब ए.एम.यू में रोजे में भी मिलेगा खाना, टूटी 97 साल पुरानी परम्परा

सोशल मीडिया पर वायरल खबर का हुआ असर

अलीगढ़- यूपी के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में खाने को लेकर सोशल मीडिया पर मचे बवाल के बाद आखिरकार 97 साल परंपरा टूट गई। अब रमजान के दिनों में एएमयू के आवासीय हाल में रहने वाले गैर मुस्लिम छात्रों को उनकी मांग पर ब्रेकफास्ट और लंच परोसा जाएगा। अभी तक इन छात्रों को सहरी और रोजा इफ्तार में बनने वाला खाना ही मिलता था। गैर मुस्लिम छात्रों ने इस व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाया था।

1920 से चलती आ रही थी ये परंपरा
एएमयू के आवासीय हालों में रमजान के दौरान ब्रेकफास्ट व लंच न परोसे जाने की परंपरा 1920 से चलती आ रही है, लेकिन इस बार गैर मुस्लिम छात्रों ने इसका विरोध किया। कुछ छात्रों ने सोशल मीडिया के जरिए इस मुद्दे को उठाया। ट्विटर के जरिए इसकी शिकायत मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से की गई। हिन्दू संगठनों ने सड़कों पर उतर कर एएमयू के इस फैसले का विरोध किया। जिसे देखते हुए एएमयू प्रशासन ने रोजा न रखने वाले छात्रों को उनकी मांग पर ब्रेकफास्ट और लंच देने का फैसला लिया है।

छात्रों की डिमांड पर मिलेगा खाना 
पीआरओ उमर पीरजादा का कहना है कि लोग गलतफहमियों का शिकार हो रहे हैं। बहरहाल एडमिनिस्ट्रेशन ने इसे संज्ञान में लिया है। हास्टलों के स्टाफ को निर्देश दे दिए गए हैं कि छात्रों की डिमांड पर ब्रेक फास्ट और लंच का इंतजाम कराया जाए। उन्होंने कहा कि एएमयू बहुत बड़ा शैक्षिक संस्थान हैं। यहां सभी धर्मों के छात्र पढ़ते हैं। सभी का ख्याल रखा जा रहा है।

अब तक थी यह व्यवस्था 

एएमयू के आवासीय हॉलों में लगभग 18 हजार के करीब छात्र-छात्राएं रहते हैं। रमजान के दिनों में अभी तक व्यवस्था थी कि जो खाना रोजेदारों के लिए बनता था वहीं अन्य छात्रों को भी परोसा जाता था। गैर मुस्लिम छात्रों को सुबह का नाश्ता और दोपहर का खाना नहीं मिलता था। सोशल मीडिया पर यह मामला तूल पकड़ गया तो एएमयू प्रशासन ने आवासीय हालों में ब्रेकफास्ट और लंच देने का निर्देश दे दिया है।

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