जजों को आजीवन सुरक्षा नहीं दी जाएगी: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने सुरक्षा समीक्षा समन्वय समिति से कहा कि वह चार सप्ताह के भीतर सुरक्षा स्थिति का आकलन करके आवश्यकतानुसार पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करे. भारत के न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की पीठ ने कहा कि सुरक्षा के बारे में हाईकोर्ट के आदेश इस संबंध में संशोधित किए जाते हैं.
राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन और अधिवक्ता शोएब आलम ने दलील दी थी कि हाईकोर्ट सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, महाधिवक्ताओं और दूसरे लोगों को उम्र भर के लिए विशेष सुरक्षा प्रदान करने का आदेश नहीं दे सकता है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा समीक्षा समन्वय समिति किसी व्यक्ति को खतरे के आकलन के आधार पर ही गृह मंत्रालय की ‘येलो बुक’ के दिशानिर्देशों के मुताबिक सुरक्षा प्रदान करती है. इसके अतिरिक्त सुरक्षा नहीं प्रदान की जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट एक सितंबर को हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ जम्मू-कश्मीर सरकार की याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुआ था. मामले में शीर्ष अदालत ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से सहयोग करने को कहा. राज्य सरकार ने कहा था कि हाईकोर्ट ने साल 2015-2016 में सभी पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और पूर्व न्यायाधीशों को आजीवन सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, जिसमें गंभीर खामी हैं.

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