अवनीश अग्निहोत्री(कोटद्वार)
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 01 अक्टूबर को पौड़ी जनपद के थलीसैंण ब्लाक के पीठसैंण में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की पुण्यतिथि के अवसर पर उनके स्मारक द्वार का शिलान्यास और पं0 दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना का शुभारंभ करने पहुच रहे है जिसमे उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद बीसी खंडूड़ी भी मौजूद रहेंगे।
आपको बता दे कि पेशावर कांड के नायक चन्द्र सिंह गढ़वाली को वीर यू ही नही कहा जाता। उनकी वीरता के कायल भारतीय ही नही बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के साशक और दाऊद जैसे लोग भी थे। यही कारण है कि सरकार ने उनके सम्मान में गढ़वाली के नाम से डाक टिकट जारी करने के साथ ही कई मार्गो और योजनाओं का नाम भी उनके नाम पर ही रखा।
आज हम आपको वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली से जुड़ी एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसके बारे में आज भी ज्यादातर लोग नही जानते। हा लेकिन कई वर्षों से मुंबई में निवास कर रहे उत्तराखण्ड के लोग इसके बारे में भलीभांति जानते है।
मुंबई में एक बड़े बिजनेसमैन से लूट के बाद अंडरवर्ल्ड के डॉन बने दाऊद इब्राहिम को कौन नही जानता। फ़िल्म जगत के साथ ही सट्टा व शेयर बाजार तक पहुच रखने वाले दाऊद भी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का दिल से सम्मान करते है। दरअसल जिस समय मुंबई में दाऊद का आतंक था उस समय मुंबई के जोगेश्वरी में धस्माना इलेक्ट्रॉनिक्स नाम से एक दुकान हुआ करती थी जिसके मालिक मूल रूप से गढ़वाल के ही रहने वाले थे। उनकी दुकान से दाऊद के कई आदमी सामान ले जाया करते थे और दाऊद की दहशत के कारण उस समय कोई भी व्यापारी दाऊद के आदमियों को सामान देने से मना नही कर पाता था। लेकिन बार बार ऐसा होने पर धस्माना नुक्सान में आ गए और उन्होंने बड़ी हिम्मत करके इस संबंध में दाऊद से मिलना चाहा। जैसे तैसे करके वह दाऊद तक तो पहुचे और डरते हुए उन्होंने अपनी बात रक्खी तो दाऊद ने उनकी बात को अनसुना कर दिया और बोला में इसमे तुम्हारी कोई मदद नही कर सकता। अंत मे दाऊद ने जब उनका नाम सुनकर कहा कि तुम मुंबई के तो नही हो यहा धस्माना तो नही होते। तुम रहने वाले कहा के हो, इस पर व्यापारी ने डरते हुए बताया कि वो उत्तराखण्ड के गढ़वाल के रहने वाले है। ये सुनते ही दाऊद ने पूछा क्या तुम वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली को जानते हो? इसपर व्यापारी ने कहा कि जी मे मूल रूप से उसी जनपद का रहने वाला हूं। ये सुनते ही दाऊद ने उन्हें सम्मान के साथ बैठाकर तुरंत अपने लोगो से कहा कि आज तक इनकी दुकान से जो कुछ भी लिया उसका पूरा पैसा इसी समय इन्हें दो और इन्हें सम्मान के साथ घर तक छोड़कर आओ। दाऊद ने तब खड़े होकर और हाथ जोड़कर कहा की पठान होने के नाते हम सभी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की दिल से इज्जत करते है क्योंकि उन्होंने 1930 में अंग्रेजो के आदेश के बाद भी निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से मना कर दिया था। इसके बाद फिर कभी दाऊद के किसी भी आदमी ने धस्माना जी की दुकान से इस तरह सामान लेने हमेशा के लिए बन्द कर दिया था। इस तरह दाऊद ही नही पूरा
पठान समाज भी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का दिल से सम्मान करता है। लेकिन हैरत की बात तो ये है कि आज भी उनके वंशज अपने ही ग्रह जनपद के कोटद्वार में चाय बेचकर अपना पेट पालने को मजबूर है लेकिन उनकी सहायता के लिए अब तक कोई ठोस कदम नही उठाया गया।बताते चले कि पिछले वर्ष उनकी पुण्यतिथि पर तत्कालीन केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर गढ़वाली की मूर्ति का अनावरण करने उनकी जन्मस्थली पीठसैण पहुचे थे।