लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा के कुछ जाति विशेष के विधायकों की हालिया बैठक को लेकर सियासी माहौल गर्म हो गया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस बैठक को भाजपा की अंदरूनी कमजोरी और आगामी चुनावों में तय हार का संकेत बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा में जो आपसी घमासान दिख रहा है, वह किसी एक बैठक तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे बड़ी वजह छिपी हुई है।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा के विधायकों के बीच पहले ही यह बात फैल चुकी है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान प्रदेश में करीब 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से कट गए हैं। खुद मुख्यमंत्री यह स्वीकार कर चुके हैं कि इनमें से लगभग 85 से 90 प्रतिशत वोटर भाजपा के ही माने जाते थे। इसका सीधा असर यह हुआ है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के औसतन करीब 61 हजार वोट कम हो गए हैं।
सपा अध्यक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में भाजपा सरकार क्या बनाएगी, वह दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाएगी। इसी डर और असुरक्षा के कारण भाजपा में आपसी लड़ाई अब खुलकर सामने आ रही है। विधायक एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, नोटिस जारी किए जा रहे हैं और अलग-अलग बैठकें करके यह जताने की कोशिश हो रही है कि न तो सरकार और न ही संगठन उनकी बात सुन रहा है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा के विधायक खुद ही यह कह रहे हैं कि उनके कोई काम नहीं हो रहे हैं और जनता में उनकी पकड़ कमजोर होती जा रही है।
महाराजा खेत सिंह खंगार की जयंती मनाई गई
इसी क्रम में शनिवार को प्रदेश समाजवादी पार्टी मुख्यालय पर वीर शिरोमणि महाराजा खेत सिंह खंगार की जयंती सादगी के साथ मनाई गई। कार्यक्रम में पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी ने महाराजा खेत सिंह खंगार के शौर्य और प्रशासनिक क्षमता को याद किया। उन्होंने कहा कि महाराजा खेत सिंह खंगार एक महान योद्धा और कुशल प्रशासक थे, जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ कई युद्ध लड़े। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजवादी नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे।
ओबीसी आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप
अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार पर ओबीसी आरक्षण में गड़बड़ी करने का भी गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यूपी में हाल ही में निकली चार नई नौकरियों के विज्ञापनों में ओबीसी वर्ग के 183 पद कम कर दिए गए हैं। ये भर्तियां पशु चिकित्सक, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी (यूनानी) और चिकित्सा अधिकारी (आयुर्वेद) पदों से जुड़ी हैं।
सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाले में सुप्रीम कोर्ट में न तो सरकारी अधिवक्ता भेजती है और न ही मामले की सुनवाई को गंभीरता से लेती है। जानबूझकर केस की तारीखें टलवाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि जब समाजवादी पार्टी पीडीए पंचायत के जरिए गांव-गांव जाकर इन मुद्दों को उठाती है, तो वहां पुलिस भेजकर पंचायतों को रोका जाता है, जबकि दूसरी ओर जाति के नाम पर विधायकों की बैठकें खुलेआम होने दी जाती हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि यह दोहरा रवैया भाजपा सरकार की नीयत और नीतियों को उजागर करता है और जनता अब सब कुछ समझ चुकी है।



