नई दिल्ली।
साल के अंतिम कारोबारी दिनों में कमोडिटी बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिल रही है। वैश्विक संकेतों और घरेलू मांग के दम पर शुक्रवार को चांदी ने ऐतिहासिक छलांग लगाते हुए नया रिकॉर्ड बना लिया, वहीं सोना भी अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। दिल्ली सर्राफा बाजार में चांदी की कीमतों में एक ही दिन में हजारों रुपये की तेजी दर्ज की गई, जिसने निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों को चौंका दिया।
चांदी ने तोड़ा ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड
वैश्विक बाजारों में मजबूती और साल के अंत में जोरदार खरीदारी के चलते भारतीय सर्राफा बाजार में चांदी ने इतिहास रच दिया। शुक्रवार को दिल्ली में चांदी के दाम 9,350 रुपये उछलकर 2,36,350 रुपये प्रति किलोग्राम के नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए।
ऑल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन के अनुसार, पिछले कारोबारी सत्र (बुधवार) में चांदी 2,27,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। यदि बीते चार कारोबारी सत्रों पर नजर डालें तो 19 दिसंबर के बाद से अब तक चांदी की कीमतों में कुल 32,250 रुपये यानी करीब 15.8 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की जा चुकी है।
चांदी निवेशकों के लिए बना ‘जैकपॉट’ साल
बाजार जानकारों का कहना है कि मौजूदा साल चांदी में निवेश करने वालों के लिए किसी जैकपॉट से कम नहीं रहा। 31 दिसंबर 2024 को चांदी का भाव 89,700 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो अब बढ़कर 2,36,350 रुपये तक पहुंच चुका है। यानी इस कैलेंडर वर्ष में चांदी ने करीब 1,46,650 रुपये या 163.5 प्रतिशत का शानदार रिटर्न दिया है।
सोना भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर
चांदी के साथ-साथ सोने की चमक भी फीकी नहीं पड़ी है। स्थानीय बाजार में 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना शुक्रवार को 1,500 रुपये की तेजी के साथ 1,42,300 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले के सत्र में सोना 1,40,800 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। बाजार आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक सोने ने निवेशकों को करीब 80 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया है।
क्यों आई कीमती धातुओं में रिकॉर्ड तेजी?
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस ऐतिहासिक तेजी के पीछे घरेलू मांग के साथ-साथ मजबूत वैश्विक संकेत अहम भूमिका निभा रहे हैं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी एनालिस्ट सौमिल गांधी के अनुसार, “सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन भी कीमती धातुओं की रैली जारी रही। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना और चांदी दोनों नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं, जिसका असर घरेलू बाजार पर साफ दिख रहा है।”
वहीं, मिराए एसेट शेयरखान के प्रवीण सिंह का कहना है कि फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं और कमोडिटी बाजार में सकारात्मक माहौल ने सोने को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 4,530 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंचा दिया है। इसके अलावा, साल के अंत में कम ट्रेडिंग वॉल्यूम यानी ‘थिन लिक्विडिटी’ के कारण कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।
विदेशी बाजारों में भी चांदी की धमक
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। विदेशी कारोबार में चांदी पहली बार 75 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर गई। यह 3.72 डॉलर या 5.18 प्रतिशत की तेजी के साथ 75.63 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर की शुरुआत से ही ‘मोमेंटम ट्रेडर्स’ बाजार पर हावी हैं और क्रिसमस की छुट्टियों के चलते कम नकदी प्रवाह ने इस तेजी को और मजबूती दी है।
औद्योगिक मांग और आपूर्ति संकट बना वजह
रिलायंस सिक्योरिटीज के जिगर त्रिवेदी के मुताबिक, चांदी की इस तेज रफ्तार के पीछे मजबूत बुनियादी कारण हैं। उन्होंने बताया कि वैश्विक स्तर पर खदानों से चांदी का उत्पादन मांग की तुलना में कम हो रहा है। वहीं, सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी), 5जी तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित इलेक्ट्रॉनिक्स में चांदी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। त्रिवेदी के अनुसार, कमजोर डॉलर और सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग के चलते 2026 तक चांदी की कीमतें 100 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं।
निवेशकों की नजरें आगे क्या?
कुल मिलाकर, साल 2025 का अंत कमोडिटी निवेशकों के लिए बेहद शानदार साबित हुआ है। जहां सोना सुरक्षित निवेश के तौर पर अपनी मजबूती बनाए हुए है, वहीं औद्योगिक मांग के चलते चांदी लंबी अवधि में भी मजबूत विकल्प बनकर उभरी है। अब निवेशकों की निगाहें नए साल में फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीतियों और वैश्विक भू-राजनीतिक हालातों पर टिकी हुई हैं।



