कोलकाता।
कोलकाता के साल्ट लेक स्थित विवेकानंद युवा भारती क्रीड़ांगन (साल्ट लेक स्टेडियम) में 13 दिसंबर को आयोजित कार्यक्रम के दौरान अर्जेंटीना के विश्व कप विजेता और दिग्गज फुटबॉलर लियोनल मेसी के असहज और नाराज होने के मामले में विशेष जांच टीम (SIT) की जांच तेज हो गई है। इस मामले में कार्यक्रम के मुख्य आयोजक सतद्रु दत्ता से पूछताछ के दौरान कई अहम जानकारियां सामने आई हैं।
एसआईटी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, सतद्रु दत्ता ने जांचकर्ताओं को बताया कि मंच पर मौजूद लोगों द्वारा पीछे से मेसी को छूना और बार-बार गले लगाने की कोशिश करना उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं आया। दत्ता के अनुसार, मेसी के साथ आए विदेशी सुरक्षा अधिकारियों ने कार्यक्रम से पहले ही स्पष्ट चेतावनी दी थी कि उनसे शारीरिक दूरी बनाए रखी जाए। इसके बावजूद भीड़ पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और सार्वजनिक घोषणाओं के बाद भी लोग मंच पर पहुंचते रहे।
अव्यवस्था से नाराज होकर समय से पहले निकले मेसी
आयोजक ने एसआईटी को बताया कि जिस तरह से मेसी को चारों ओर से घेर लिया गया और उनकी निजी सीमा का उल्लंघन किया गया, वह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी के लिए पूरी तरह अस्वीकार्य था। इसी अव्यवस्था और असहज माहौल के चलते मेसी तय समय तक कार्यक्रम में नहीं रुके और निर्धारित कार्यक्रम पूरा होने से पहले ही वहां से चले गए।
खेल मंत्री आरूप बिस्वास की भूमिका भी जांच के घेरे में
कार्यक्रम के दौरान पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री आरूप बिस्वास की मौजूदगी और मेसी के बेहद करीब दिखाई देने को लेकर भी विवाद गहराया है। सामने आई तस्वीरों और वीडियो में आरूप बिस्वास को मेसी के साथ कमर में हाथ डालकर फोटो खिंचवाते हुए देखा गया। आरोप है कि उन्होंने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपने रिश्तेदारों और निजी परिचितों को मेसी तक पहुंच दिलाई, जिससे सुरक्षा व्यवस्था और ज्यादा बिगड़ गई।
लगातार बढ़ती आलोचना और राजनीतिक दबाव के बीच आरूप बिस्वास ने जांच पूरी होने तक खेल मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
मैदान के भीतर इतनी भीड़ कैसे पहुंची?
एसआईटी इस सवाल की भी गहन जांच कर रही है कि मैदान के भीतर इतनी बड़ी संख्या में लोग कैसे प्रवेश कर गए। सतद्रु दत्ता ने दावा किया कि शुरुआत में केवल 150 ग्राउंड पास जारी किए गए थे, लेकिन एक “बेहद प्रभावशाली व्यक्ति” के स्टेडियम पहुंचते ही यह संख्या अचानक तीन गुना कर दी गई। आयोजक के मुताबिक, उस व्यक्ति के आने के बाद पूरे कार्यक्रम की योजना पूरी तरह बिगड़ गई और भीड़ पर नियंत्रण असंभव हो गया।
वित्तीय लेन-देन पर भी उठे सवाल
जांच के दौरान कार्यक्रम से जुड़े वित्तीय पहलुओं को लेकर भी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं। सतद्रु दत्ता ने बताया कि लियोनल मेसी के भारत दौरे के लिए करीब 89 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि लगभग 11 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में भारतीय सरकार को दिए गए। इस तरह पूरे आयोजन पर कुल खर्च करीब 100 करोड़ रुपये रहा।
उन्होंने यह भी बताया कि कुल खर्च का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा प्रायोजकों से और करीब 30 प्रतिशत टिकट बिक्री से प्राप्त हुआ।
फिलहाल एसआईटी पूरे मामले की जांच कर रही है और आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।
(यह खबर लगातार अपडेट की जा रही है)



