कोसी कराह रही है: रामपुर में अफसर–माफिया गठजोड़ से धड़ल्ले से अवैध खनन, 50 से अधिक जगहों पर दिन-रात लूट, पर्यावरण पर गहरा संकट

हिमालय से निकलकर मैदानी इलाकों को जीवन देने वाली कोसी नदी आज खुद अपने अस्तित्व के लिए कराह रही है। उत्तराखंड से सटे उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में नियम-कानूनों को ताक पर रखकर बालू और मिट्टी का अवैध खनन खुलेआम जारी है। हालात यह हैं कि जिले में 50 से अधिक स्थानों पर बिना किसी वैध अनुमति के दिन-रात पोकलेन और जेसीबी मशीनों से कोसी नदी की छाती चीर दी जा रही है।

नदी की तलहटी को गहरे गड्ढों में तब्दील किया जा रहा है। ओवरलोड डंपर और ट्रैक्टर-ट्रॉलियां सड़कों पर बेलगाम दौड़ रही हैं, लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं। खनन माफिया बेखौफ है और उनका दावा है कि नेताओं और अफसरों की सहमति के बिना यह खेल संभव ही नहीं है। हर स्तर पर “चढ़ावा” पहुंचता है, तभी यह अवैध धंधा निर्बाध चल रहा है।

कोसी के प्राकृतिक स्वरूप से खिलवाड़

रामपुर जिले में कोसी नदी के किनारे लगातार हो रहे अवैध खनन से उसका प्राकृतिक स्वरूप बुरी तरह बिगड़ रहा है। पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है और भविष्य में बाढ़ व कटान का खतरा कई गुना बढ़ गया है। इसके साथ ही वायु और ध्वनि प्रदूषण आम समस्या बन चुका है। हैरानी की बात यह है कि जिम्मेदार विभाग सब कुछ “सामान्य” होने का दावा कर रहे हैं।

अवैध खनन का गढ़ बनता रामपुर

मुरादाबाद मंडल का रामपुर जिला लंबे समय से बालू और मिट्टी के अवैध खनन के लिए कुख्यात रहा है। कई इलाकों में खनन माफिया का एकछत्र राज है। स्वार और टांडा तहसील के दढ़ियाल, मसवासी, घोसीपुरा, सुल्तानपुर पट्टी, चौहद्दा और समोदिया जैसे गांवों के आसपास हालात बेहद गंभीर हैं।
स्वार क्षेत्र के पट्टी कला और घोसीपुरा गांव के पास उत्तर प्रदेश–उत्तराखंड की सीमा है। ओवरलोड डंपरों की तेज रफ्तार से दोनों राज्यों को जोड़ने वाले मार्ग जर्जर हो चुके हैं।

चेक पोस्ट कागजों में, रात में तेज हो जाता है खनन

कहने को अवैध खनन रोकने के लिए चेक पोस्ट बनाए गए हैं, टास्क फोर्स गठित है और नोडल अधिकारी भी नियुक्त हैं, लेकिन जैसे-जैसे रात गहराती है, जेसीबी और पोकलेन का प्रहार और तेज हो जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अघोषित नाकेबंदी कर माफिया के लोग नदी तक जाने वाले रास्तों पर पहरा देते हैं और किसी को भी बेवजह आगे बढ़ने से रोकते हैं।

नेताओं के बयान, प्रशासन पर सवाल

रामपुर के जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी का कहना है कि दिसंबर में समोदिया गांव में अवैध खनन की शिकायत पर 40 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। सभी चेक प्वाइंटों पर सीसीटीवी से निगरानी की जा रही है और ओवरलोडिंग में संलिप्त वाहनों के पंजीकरण रद्द करने के निर्देश दिए गए हैं।

वहीं स्वार से अपना दल (एस) के विधायक शफीक अहमद अंसारी ने खुलकर अफसर–माफिया गठजोड़ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “एक भी वैध खनन पट्टा नहीं है, फिर भी 50 से अधिक क्रशर चल रहे हैं। यह कैसे संभव है? बड़े अफसरों तक शिकायत की गई, लेकिन हर बार मामला दबा दिया गया।”

मिलक की भाजपा विधायक राजबाला सिंह ने भी माना कि सरकार की मंशा अवैध खनन रोकने की है, लेकिन रामपुर में जो हो रहा है, उसे स्थानीय प्रशासन को गंभीरता से रोकना चाहिए।

ओवरलोड डंपरों से सड़कें तबाह, लोग नाराज

स्वार–टांडा और बाजपुर मार्गों पर ओवरलोड डंपर तय सीमा से दोगुना-तिगुना भार लेकर दौड़ते नजर आते हैं। इनसे सड़कें उखड़ रही हैं। पानी टपकने से सड़कों की हालत और खराब हो रही है। मसवासी, सुल्तानपुर पट्टी और दढ़ियाल के पास लंबी कतारों के कारण भीषण जाम लगता है। हादसों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन स्थानीय लोगों की शिकायतें प्रशासनिक फाइलों में ही दबकर रह जाती हैं।

हाईकोर्ट तक पहुंचा था मामला

रामपुर में अवैध खनन के गंदे खेल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिसंबर 2017 में एक याचिका पर हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा था। कोर्ट ने तत्कालीन दो जिलाधिकारियों के निलंबन का आदेश दिया था और अन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद हालात में कोई खास बदलाव नहीं आया।
आज भी रामपुर जिला बालू और मिट्टी के अवैध खनन के लिए बदनाम है और कोसी नदी की पीड़ा लगातार बढ़ती जा रही है।

निष्कर्ष:
अगर समय रहते इस अफसर–माफिया गठजोड़ पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो कोसी नदी का अस्तित्व ही संकट में पड़ सकता है और इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा।

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