चमोली (उत्तराखंड):
जिले के देवाल विकासखंड के ऐरठा गांव में सड़क न होने की समस्या एक बार फिर ग्रामीणों के लिए गंभीर संकट बनकर सामने आई है। यहां बीमार व्यक्ति को इलाज के लिए कंधों पर डंडी में बैठाकर करीब पांच किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाना पड़ा। हैरानी की बात यह है कि गांव के लिए वर्ष 2021 में आठ किलोमीटर लंबी सड़क स्वीकृत होने के बावजूद अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
शुक्रवार को ऐरठा गांव निवासी पूरन राम (40) की तबीयत अचानक बिगड़ गई। सड़क सुविधा के अभाव में एंबुलेंस या किसी वाहन का गांव तक पहुंचना संभव नहीं था। ऐसे में परिजन और ग्रामीणों ने मजबूरी में पूरन राम को डंडी में बैठाया और दुर्गम पैदल रास्तों से पांच किलोमीटर की दूरी तय कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) तक पहुंचाया।
हालांकि, मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं। पीएचसी में प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने पूरन राम की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें हायर सेंटर श्रीनगर रेफर कर दिया। इसके बाद परिजनों को एक बार फिर मरीज को सड़क तक पहुंचाने के लिए भारी जद्दोजहद करनी पड़ी।
गौरतलब है कि अनुसूचित जाति बाहुल्य ऐरठा गांव के लिए आठ किलोमीटर लंबी सड़क को वर्ष 2021 में स्वीकृति मिली थी, लेकिन चार साल बाद भी निर्माण कार्य शुरू न होने से ग्रामीणों में गहरा रोष है। सड़क के अभाव में गांव के लोगों को न सिर्फ रोजमर्रा की आवाजाही में दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं, बल्कि इमरजेंसी के समय मरीजों और गर्भवती महिलाओं को डंडी-कंडी के सहारे सड़क तक पहुंचाना मजबूरी बन गया है।
ग्राम प्रधान प्रेमा देवी सहित ग्रामीण प्रकाश राम, सुरेश राम, नंदन टम्टा, त्रिलोक राम, रमेश राम, खिलाप राम, हरेंद्र राम, गंगा राम और कुंवर राम ने बताया कि गांव में सड़क न होने से हर आपात स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। उन्होंने प्रशासन से जल्द से जल्द सड़क निर्माण कार्य शुरू कराने की मांग की है, ताकि भविष्य में किसी को इस तरह जान जोखिम में डालकर इलाज के लिए न ले जाना पड़े।



