Press Freedom Predators 2025: रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की सूची में अडानी समूह और ऑपइंडिया शामिल

Press Freedom Predators 2025: आरएसएफ की सूची में अडानी समूह और ऑपइंडिया, प्रेस स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल

नई दिल्ली: प्रेस स्वतंत्रता की निगरानी करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) ने वर्ष 2025 के लिए अपनी नई सूची ‘प्रेस फ्रीडम प्रीडेटर्स’ जारी कर दी है। इस सूची में उन व्यक्तियों, कंपनियों और संगठनों को शामिल किया गया है जिन्हें पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा माना जाता है। इस साल की सूची में भारत की दो संस्थाओं—अडानी समूह और हिंदुत्ववादी वेबसाइट ऑपइंडिया—को भी जगह दी गई है।

RSF हर वर्ष प्रेस फ्रीडम इंडेक्स भी जारी करता है, जिसमें भारत 180 देशों में 151वें स्थान पर है।


कौन होते हैं ‘प्रीडेटर्स’?

RSF के अनुसार, ‘प्रेस फ्रीडम प्रीडेटर्स’ सूची में वे शामिल किए जाते हैं जो—

  • पत्रकारों की हत्या करते हैं

  • सेंसरशिप लागू करते हैं

  • मीडिया पर नियंत्रण बनाते हैं

  • पत्रकारों को जेल में डालते हैं

  • प्रोपगैंडा के लिए समाचारों में हेरफेर करते हैं

  • पत्रकारिता को बदनाम करते हैं

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस सूची में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, इज़रायल की आईडीएफ, म्यांमार की सैन्य सरकार, बुर्किना फासो की सेना और अरबपति एलन मस्क जैसे नाम शामिल हैं।


अडानी समूह को लेकर RSF ने क्या कहा?

RSF ने गौतम अडानी को भारत के शीर्ष उद्योगपतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी के रूप में चिन्हित किया है। संगठन ने रिपोर्ट में कहा कि—

  • अडानी समूह और उसकी सहायक कंपनियां आलोचनात्मक पत्रकारिता को दबाने के लिए व्यवस्थित रूप से ‘गैग सूट’ यानी मानहानि और कंटेंट हटाने से जुड़े मुकदमों का इस्तेमाल करती हैं।

  • 2017 से अब तक समूह ने 15 से अधिक पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के खिलाफ करीब 10 कानूनी मामलों की शुरुआत की है।

  • 2025 में अडानी समूह ने 8 पत्रकारों और 3 मीडिया संस्थानों पर दो गैग सूट दायर किए, जिनमें अदालत ने समूह को यह तय करने का अधिकार दे दिया कि कौन-सी सामग्री “मानहानिकारक” है।

RSF के अनुसार, यह आदेश तीसरे पक्षों पर भी लागू हुआ, जिससे “असीमित सेंसरशिप” की स्थिति पैदा हो गई।

इसके बाद द वायर, न्यूज़लॉन्ड्री, HW न्यूज़, और स्वतंत्र पत्रकार रवीश कुमार जैसी संस्थाओं/पत्रकारों को कई कंटेंट हटाने पड़े।

संगठन ने कहा कि गैग सूट का दुरुपयोग अडानी समूह का “सबसे खतरनाक हथियार” है।


ऑपइंडिया की ‘कॉन्सपिरेसी थ्योरी’ को बताया खतरा

RSF ने अपनी रिपोर्ट में ऑपइंडिया का नाम शामिल करते हुए कहा कि यह वेबसाइट—

  • आलोचनात्मक पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर नियमित रूप से हमले करती है

  • ‘लिबरल मीडिया कार्टेल’ के खिलाफ लड़ाई के नाम पर ट्रोल नेटवर्क्स का इस्तेमाल करती है

  • ऐसे नैरेटिव फैलाती है जो पत्रकारों को बदनाम करते हैं

  • पत्रकारों को ‘एंटी-इंडियन लॉबी’ या ‘सोरोस इकोसिस्टम’ का हिस्सा बताकर निशाना बनाती है

RSF की 2025 रिपोर्ट के अनुसार, ऑपइंडिया के 96 लेख ऐसे पाए गए जो सीधे पत्रकारों और मीडिया समूहों पर हमला करते हैं। इसमें 200 पन्नों की एक “रिपोर्ट” का भी उल्लेख है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि मीडिया संस्थान मिलकर “मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव वॉर” चला रहे हैं और “भारत में सत्ता परिवर्तन” की साज़िश कर रहे हैं।

RSF के मुताबिक, ऐसे लेख प्रकाशित होने के बाद पत्रकारों को ऑनलाइन ट्रोलिंग और बदनाम करने के अभियान झेलने पड़ते हैं।

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